रायपुर। प्रदेशभर के बिजली उपभोक्ताओं को लगातार चौथे माह भी महंगी बिजली का झटका लगा है। अब अक्टूबर की बिजली तीन फीसदी महंगी हो गई है। जून से लगातार कीमत में इजाफा होने के कारण बीते चार माह में बिजली की कीमत करीब 17 फीसदी बढ़ी है। जून में जब बिजली का नया टैरिफ जारी हुआ था, तो उस माह की बिजली महंगी न होकर ऊर्जा प्रभार कम होने से कीमत कम हो गई थी। अब हर माह बिजली की कीमत तय होने के कारण जून में ऊर्जा प्रभार यानी टैरिफ पर जो शुल्क 0.69 प्रतिशत था, वह अब अक्टूबर में 17.31 फीसदी हो गया है। अब दिसंबर में जो नवंबर का बिल आएगा, उसमें अक्टूबर की खपत के हिसाब के अंतर की राशि ली जाएगी। 100 यूनिट तक टैरिफ 3.90 रुपए प्रति यूनिट है। इसमें 17.31 फीसदी के हिसाब से अतिरिक्त पैसे लगेंगे। आगे जितनी खपत होगी उसके टैरिफ के हिसाब से पैसे अतिरिक्त पैसे लगेंगे। लेकिन चार सौ यूनिट तक बिजली बिल हॉफ योजना के कारण पैसे आधे ही लगेंगे।

प्रदेश में अब तक बिजली उपभोक्ताओं से वीसीए के स्थान पर उत्पादन लागत के अंतर की राशि को उपभोक्ताओं से वसूलने के लिए नया फार्मूला फ्यूल पॉवर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) लागू है। सबसे पहले पिछले साल अप्रैल में पहली बार नया फार्मूला लागू होने पर शुल्क 5.30 प्रतिशत लिया गया। इसके बाद मई में 10.29 प्रतिशत, जून में 14.23, जुलाई में 11.43, अगस्त में शुल्क 10.31 प्रतिशत रहा। सितंबर और अक्टूबर में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण अगस्त का शुल्क लिया गया। बाद में सितंबर और अक्टूबर की कीमत तय होने पर इसका समायोजन किया गया। नवंबर में शुल्क कम होकर 7.04 प्रतिशत हो गया। दिसंबर में यह शुल्क 6.30 प्रतिशत था। 

इसे भी पढ़ें...महंगी बिजली का विरोध : स्टील उद्योगों में तालाबंदी, कहा-संचालन संभव नहीं

जुलाई से लगातार झटका

नए साल के पहले माह जनवरी में यह शुल्क 6.70 प्रतिशत, फरवरी में 10.12, मार्च में 7.20 फीसदी, अप्रैल में 9.22 और मई में यह घटकर 9.10 फीसदी हो गया। इसके बाद जून में यह सबसे कम 0.69 फीसदी हो गया था। लेकिन इसके बाद जुलाई से लगातार इसमें इजाफा हो रहा है। जुलाई में यह 4.72 फीसदी हुआ। यानी जुलाई में बिजली चार फीसदी महंगी हुई। इसके बाद अगस्त में बड़ा झटका और यह 11.95 फीसदी हो गया। यानी अगस्त में बिजली की कीमत में 7.23 फीसदी का इजाफा हुआ। सितंबर में ऊर्जा प्रभार पर शुल्क 14.23 होने के कारण इस माह 2.28 फीसदी बिजली की कीमत बढ़ी और अब अक्टूबर में ऊर्जा प्रभार पर शुल्क 17.31 प्रतिशत होने के कारण कीमत में 3.08 फीसदी का इजाफा हो गया है।