राजनांदगांव / बिलासपुर / रायगढ़। बरसात में बाढ़ से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को देखते हुए बड़े जिला मुख्यालयों सहित नगर निगम में बाढ़ नियंत्रण कक्ष बना दिए गए हैं। किन्तु तहसील स्तर पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष नहीं बन पाए हैं। राजनांदगांव में बाढ़ नियंत्रण कक्ष को स्टोर रूम बना दिया गया है। वहीं रायपुर में भी खास व्यवस्था नहीं है। बिलासपुर में जिला मुख्यालय स्तर पर कलेक्टोरेट के कक्ष क्रमांक 25 प्रोटोकाल शाखा में बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जहां तीन शिफ्टों में दो-दो कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई है। शहर में नगर निगम स्तर पर निगम कार्यालय विकास भवन में बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया गया है, जहां पर 24 घंटे सेवा देने के लिए तीन पालियों में कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई है और अपर आयुक्त व निगम इंजीनियर को नोडल अधिकारी बनाया गया है।  

इसी तरह जिला मुख्यालय स्तर पर आपदा प्रबंधन की रेस्क्यू टीम है, जिनके पास गोताखोर से लेकर आवश्यक उपकरणों और मोटरबोट की भी व्यवस्था है। कहीं से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है तो उससे निपटने और बचाव के लिए आपदा प्रबंधन की टीम को भेजा जाता है। लेकिन तहसील स्तर पर न तो बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित हो पाए हैं और न ही बाढ़ से निपटने के लिए किसी तरह की कोई तैयारी हो पाई है। रायपुर में होमगार्ड भरोसे कंट्रोल रूम, निगम वाले बेपरवाहशहर में आम जनता की सुविधा के लिए निगम आयुक्त अबिनाश मिश्रा ने बाढ़ आपदा नियंत्रण प्रकोष्ठ का गठन कर इसके लिए प्रभारी अधिकारी, नोडल अधिकारी और जोन कमिश्नरों सहित उप अभियंता की पाली हिसाब से ड्यूटी लगाई है। 

होमगार्ड संभाल रहे व्यवस्था, निगम वाले झांकने तक नहीं आते

डयूटी चार्ट मुख्यालय से जारी हो गया, पर चार्ट के हिसाब से कंट्रोल रूम में निगम के विभागीय अधिकारी नहीं बैठ रहे।मोटर वर्कशाप परिसर में संचालित अग्निशमन विभाग के होमगार्ड के भरोसे बाढ़ आपदा प्रकोष्ठ का कंट्रोल रूम चल रहा है।  अपर आयुक्त, निगम आयुक्त से लेकर नोडल अधिकारी इस ओर उदासीन बने हुए हैं। फोन तक नहीं उठाते अधिकारी सूत्रों के मुताबिक नोडल अधिकारी और प्रभारी अधिकारी रात के समय जलभराव की शिकायत करने वालों का फोन तक रिसीव नहीं कर रहे। इससे निगम प्रशासन की आपात व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं शहरी सरकार का भी इस ओर ध्यान नहीं है। शहर में जलभराव और अतिवृष्टि की स्थिति पर नजर रखने और प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को राहत दिलाने नगर निगम आयुक्त अबिनाश मिश्रा ने बाढ़ आपदा नियंत्रण प्रकोष्ठ का गठन किया है। यह 20 जून से प्रभावी हो गया है, पर कंट्रोल रूम में निगम के अधिकारी से लेकर इंजीनियर तक निर्धारित पाली में नजर नहीं आते।

तहसील में भी बनेंगे

बिलासपुर एडीएम आर कुरुवंशी ने बताया कि, जिला मुख्यालय स्तर पर कलेक्टोरेट में बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया गया है, इसमें कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। कहीं बाढ़ की स्थिति निर्मित होती है तो उससे निपटने एवं बचाव के लिए होमगार्ड के अंतर्गत आपदा प्रबंधन रेस्क्यू टीम भी है, जिसे वहां भेजा जाता है। आपदा प्रबंधन टीम के पास गोताखोरों से लेकर मोटरबोट और आवश्यक उपकरण भी है। तहसील स्तर पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष की तैयारी के संबंध में बरसात लगने के पहले ही निर्देश दे दिए गए हैं। 

 गोदाम में तब्दील बाढ़ नियंत्रण कक्ष 

राजनांदगांव। मानसून सक्रिय होने के बाद अंचल में हल्की फुल्की बारिश का वातावरण निर्मित होने लगा है। ऐसे में जिला कार्यालय में बाढ़ नियंत्रण कक्ष अस्त व्यस्त  है, सामानों को इस कदर रखा गया है जैसे गोदाम हो। शनिवार को जब हरिभूमि की टीम इस कक्ष में पहुंची तो वहां कोई भी अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं था। ज्ञात हो कि 23 जून से आषाढ़ माह प्रारंभ हो रहा है, वही अंचल में मानसून भी सक्रिय होने लगी है जिसके चलते इन दिनों हल्की फुल्की बारिश का दौर शुरू हो चुका है। आषाढ़ माह लगते ही झमाझम बारिश की स्थिति बनने की संभावना जताई जा रही है। बारिश के मौसम में यहां का बाढ नियंत्रण कक्ष अस्त व्यस्त है। यहां ना तो आपदा के लिए कोई सामान व्यवस्थित है और ना ही किसी प्रकार की सुविधाएं नजर आती है। कार्यालय में फोन भी व्यवस्था है वही आलमारियां फाईलो से अटा पड़ा है। यहां मोटर पंप, लाईफ सेविंग जैकेट सहित बाढ़ से बचने अन्य सामग्रियां नजर नही आ रहे है। हालांकि जिला में बाढ़ जैसे हालत में नगर सेना के पास तमाम सुविधाएं उपलब्ध है।