करन साहू- बिलाईगढ़। छत्तीसगढ़ में सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बिलाईगढ़ ब्लाक के ग्राम पंचायत सरसीवां और पवनी को नगर पंचायत बनाने के बाद राज्य शासन ने कार्यवाहक समिति का भी गठन कर दिया है। इसके बाद सरसीवां और पवनी से निर्चावित सरपंच, उप सरपंच और पंचगणों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

सरसीवा के सरपंच नीतीश बंजारे ने राज्य सरकार पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ अन्याय करने की बात कही है। साथ ही आरोप लगाया है कि, सरकार ने नगर पालिका अधिनियम 1961 के खिलाफ समिति का गठन किया है और राजपत्र में प्रकाशित नगर पंचायत के कार्यवाहक समिति पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर किया है। 

सरसीवां, पवनी को नगर पंचायत बनाने का है मामला 

सरसीवां के निर्वाचित सरपंच नीतीश बंजारे ने कहा कि, पूर्व में भूपेश बघेल की सरकार के द्वारा भेट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान ग्राम पंचायत सरसीवां और पवनी को नगर पंचायत बनाने की घोषणा की गई थी। जिसके बाद छत्तीसगढ़ राजपत्र में अधिसूचना जारी किया गया है। जिसमें लिखा गया है कि, छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 (क्रमांक 37 सन् 1961) की धारा 5 में प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राज्य शासन एतद् द्वारा ग्राम पंचायत सरसीवा को नगर पंचायत गठित किया है लेकिन सरकार बदलते ही राज्य में बैठी भाजपा सरकार ने नगर पालिका अधिनियम 1961 (क्रमांक 37 सन् 1961) की धारा 16(1) के अधीन नगर पंचायत सरसीवा जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ की परिषद के कृत्यों के संचालन हेतु समिति का गठन किया गया है जो कि नगर पालिका के लिए मान्य है नगर पंचायत के लिए धारा 5 मान्य है।

नपा अधिनियम की धारा 5 के कंडिका क्रमांक 4 का दिया हवाला

नीतीश बंजारे ने आगे कहा की छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 5 के कंडिका क्रमांक 4 में स्पष्ट लिखा है कि जब किसी ग्राम पंचायत को धारा 5 के प्रावधानों के अधीन नगर पंचायत के रूप में गठित किया गया है, तब जब तक इस अधिनियम के अधीन नई नगर पंचायत का गठन नहीं हो जाता तब तक ग्राम पंचायत ही इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन नगर पंचायत के दायित्व का निर्वहन करेगी। 

नगर पंचायत गठन पर लागू नहीं होता प्रावधान

नीतीश बंजारे ने आगे कहा कि, 20 मार्च 2003 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के नाम से विशेष सचिव पर्यावरण एवं नगरीय विकास विभाग बी.के. सिन्हा के द्वारा समस्त कलेक्टरों को आदेश दिया गया है कि, नगर पालिका परिषद के गठन की स्थिति में धारा 16 के अधीन राज्य शासन द्वारा नामांकित समिति परिषद के दायित्व का निर्वहन करेगी, जबकि नगर पंचायत की स्थिति में पूर्व से निर्वाचित ग्राम पंचायत ही परिषद के दायित्व का निर्वहन करेगी।

हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

इन सभी बातों को लेकर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने राज्य शासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगाते हुए याचिका दायर की है, जिस पर फैसले को सुरक्षित रख लिया गया है। कुछ दिनों में इस पूरे मामले में फैसला आ जाएगा।