अक्षय साहू - राजनांदगांव- गर्मी की तपिश अपने चरम पर है। झुलसाने वाली गर्मी के कारण लूके थपेड़ों से लोगों की हालत खराब है और उनका जीना बेहाल हो गया है। ऐसे में पानी और छांव की लोगों को जरूरत महसूस हो रही है। शहर के कलेक्ट्रेट, न्यायालय, नगर निगम, बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन जैसे स्थान पर यात्रियों के लिए पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोगों को गला तर करने भठकना पड़ रहा है। जैसे -जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है, वैसे ही कंठ सूखते जा रहे हैं। 

हर पल पानी की मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन शहर में एक भी वाटर एटीएम संचालित नहीं हो रहा है, वहीं सार्वजनिक प्याउ घरों की स्थिति बद से बदतर हो रही है। पानी की व्यवस्था को लेकर हरिभूमि की टीम जब रियलिटी चेक करने शहर के रानी सागर के पास स्थित चौपाटी के पास पहुंची तो दिखा कि, एक समाजसेवी संस्था ने प्याऊ घर का ढांचा तो तैयार कर दिया गया है लेकिन पानी पिलाने के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है। प्याऊ घर के अंदर पशु आराम कर रहे हैं। 

 4 सालों से वह मशीन बन्द

गन्दगी के बीच खाली मटके पड़े हुए हैं। उसके बगल में ही एक वाटर एटीएम मशीन भी बनाई गई है लेकिन वह भी बंद पड़ी है और उसे देखने से लग रहा है कि वह सालों से ऐसी ही बन्द होने के कारण जर्जर हो चुकी है। वहां आसपास से आये लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि लगभग 4 सालों से वह मशीन बन्द है लेकिन प्रशासन की ओर से कोई उसकी सुध लेने नहीं पहुंचा।

 कलेक्ट्रेट में पानी की व्यवस्था नहीं

राजनांदगांव मुख्यालय में कलेक्ट्रेट रोजाना सैकड़ों लोग काम लेकर पहुंचते हैं, जिन्हें सूखे कंठ को तर करने के पानी तक नहीं मिलता है, सुदूरवर्ती इलाकों से आये लोग पानी को तरस जाते हैं। कलेक्ट्रेट परिसर में भी एक वाटर एटीएम लगाया गया है लेकिन वह भी रख रखाव के अभाव में जर्जर पड़ा हुआ है। वहीं वाटर एटीएम के अंदर भी गन्दगी पसरी हुई है। कलक्ट्रेट जहां कलेक्टर खुद बैठते हैं, वहां भी आम आदमी के लिए भीषण गर्मी में पानी तक की व्यवस्था नहीं की गई है।

पानी के लिए यात्री होटलों पर निर्भर

इसी तरह जिला मुख्यालय के बदहाल बस स्टैंड में पीने के पानी लिए यात्रियों को सिर्फ एक बिगड़े हुए हैंडपंप से काम चलाना पड़ रहा है। हैंडपंप ने पानी दिया तो ठीक नहीं तो होटल से काम चलाना पड़ता है। यात्रियों की सुविधा के लिए काउंटर तो बनाये गए हैं, लेकिन वहां से भी पानी नहीं मिलने के कारण यात्रियों को पानी के लिए होटलों पर ही निर्भर होना पड़ता है। होटल संचालक भी नास्ता करने की शर्त पर पीने का पानी देते हैं। कभी तो पीने के पानी के लिए लोगों के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है। इस सब में सबसे ज्यादा परेशान तो आम यात्री हो रहे हैं, जिसके निदान के लिए यहां प्याऊ घर खोला जाना निहायत जरूरी हो गया है।

यहां अब तक नहीं खोले प्याऊ घर

जिला मुख्यालय में एक भी ऐसा प्याऊ घर नहीं खुल पाया है, जिससे बाहर से आए लोगों को पीने के पानी के लिए परेशानियों का सामना न करना पड़े। बीते सालों में विभिन्न समाज सेवियों द्वारा जय स्तम्भ चौक, गुरुनानक चौक, गुड़ाखु लाइन, सदर लाइन सहित एक दर्जन प्याऊ घर खोले जाते थे। लेकिन यहां इस वर्ष अब तक एक भी प्याऊ घर नहीं खुल पाया है। वहीं शासकीय संस्था ने भी प्याऊ घर खोलने की व्यवस्था नहीं की। वहीं शहर के जिला अस्पताल में भी वाटर एटीएम की स्थिति जर्जर बनी हुई है, जिसके कारण मरीजों और उनके परिजनों को दुकानों से पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है। सार्वजनिक स्थलों में प्याऊ घर नहीं होने से लोगों के बीच अब पानी के पाउच और बॉटल खरीद कर पीने का ट्रैंड बन गया है। दो रुपए से लेकर 20 रुपये में ठंडा पानी का पाउच लेकर लोग गला तर कर रहे हैं। 

 पानी की समस्या से जूझ रहे है राहगीर

गर्मी अब अपने तीखे तेवर दिखाने लगी है, ऐसे में कमजोरी से बचने के लिये पानी अतिआवश्यक है, वहीं राहगीर पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। समाज सेवकों और नगर पालिका ने इस साल अब तक इस दिशा में कोई व्यवस्था नहीं की है, जिसके कारण पानी के लिए राहगीरों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। शहर में रेलवे स्टेशन के अंदर पीने के पानी की व्यवस्था है लेकिन बाहर एक भी प्याऊ नहीं खुलने से बाहरी लोगों को पीने के पानी के लिए स्टेशन के अंदर जाना पड़ता है। प्याऊ घर नहीं खुलने की वजह से लोगों को होटलों पर ही टकटकी लगानी पड़ती है। होटल मालिक ने पानी दिया तो ठीक नहीं तो अगले दुकान का रास्ता देखना पड़ता है।