रायपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हिंदी और इंग्लिश को जुदा कर दिया है। अब कॉलेज के छात्र इनका अध्यापन एक साथ नहीं करेंगे। बीए, बीकॉम, बीएससी, बीबीए सहित अन्य पाठ्यक्रम के विद्यार्थी अब तक अपने संकाय के विषयों संग हिंदी, इंग्लिश और पर्यावरण अध्ययन की पढ़ाई करते रहे पार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत अब छात्र प्रथम, द्वितीय और तृतीय सेमेस्टर में बारी-बारी से इन विषयों को पढ़ेंगे। कौन से संकाय के छात्र किस विषय का अध्ययन पहले करेंगे, इसे लेकर भी श्रेणी बनाई गई है। इसमें जिक्र किया गया है कि कौन से विषय के छात्र, किस सेमेस्टर में किस भाषा की पढ़ाई करेंगे।

उदाहरणस्वरूप प्रथम सेमेस्टर में बीबीए और बीकॉम के छात्र पर्यावरण अध्ययन, बीए के छात्र इंग्लिश और बीएससी व बीसीए के छात्र हिंदी की पढ़ाई करेंगे। द्वितीय सेमेस्टर में बीबीए और बीकॉम के विद्यार्थी भाषा, बीए के छात्र हिंदी और बीएससी-बीए के छात्र इंग्लिश की पढ़ाई करेंगे। अन्य कक्षाओं में भी विषयों का विभाजन किया गया है। सभी महाविद्यालयों को यह सूची भेज दी गई है।

सिलेबस भी सिमटा

नया सिलेबस ही इस पैटर्न के अनुसार ही तैयार किया गया है। अन्य विषयों के पाठ्यक्रम को दो हिस्सों में बांटा गया है, जबकि हिंदी-इंग्लिश के पाठ्यक्रम को वार्षिक पैटर्न से समेटकर एक ही सेमेस्टर में सीमित कर दिया गया है। चूंकि वर्ष भर के सिलेबस को एक सेमेस्टर में समेटा गया है, इसलिए पाठ्यक्रम के कुछ हिस्से हटाए गए हैं। हिंदी, इंग्लिश और पर्यावरण अध्ययन तीनों ही विषयों के पाठ्यक्रम को सीमित किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति संबंधित आयोजित सेमिनार में भी शिक्षकों को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

पुल में बांटा गया

महंत कॉलेज के प्राचार्य डॉ. देवाशीष मुखर्जी ने बताया कि, कौन सी कक्षा में किसी भाषा की पढ़ाई पहले होगी, इसका निर्धारण करने ग्रुप बनाए गए हैं। ए, बीऔर सी तीन पूल बनाए गए हैं। कॉलेज इसके अनुसार तैयारी कर रहे हैं।