रायपुर। सोचिए... आपका तबादला आदेश आता है। आप नई जगह पर ज्वॉइनिंग ही नहीं देते हैं और आपको मेडिकल लीव मिल जाती है। चार सालों तक आप मेडिकल लीव पर रहते हैं और इस दौरान आपको 25 लाख रुपए वेतन के रूप में भी प्राप्त हो जाते हैं।  ना मजे की नौकरी? ऐसा हकीकत में छग के कोरबा जिले के कटघोरा में हुआ है। जांच के बाद मेडिकल लीव पर जाने वाली प्रधान पाठिका को वेतन जारी करने वाले ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।

लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, शासकीय विद्यालय गोपालपुर की प्रधान पाठिका सितंबर 2018 से चिकित्सा आवेदन देकर अवकाश पर चली गई थी। जून 2022 को बिना कार्यभार ग्रहण किए सेवानिवृत्त हो गई। कटघोरा के विकासखंड शिक्षा अधिकारी ईश्वर प्रसाद कश्यप द्वारा उनकी फर्जी उपस्थिति पंजी के आधार पर वेतन राशि 24, लाख 91 हजार 554 रुपए का भुगतान किया गया।

आर्थिक अनियमितताओं के अन्य प्रकरण भी

बीईओ ईश्वर प्रसाद को अन्य मामले में भी दोषी पाया गया है। प्रधान पाठक शरद चंद्रभूषण लाल के फरवरी 2023 में सेवानिवृत्त होने के उपरान्त उनके पीपीओ के आधार पर उपादान राशि अर्थात वैच्यूटी मनी के रूप में 18 लाख 63 हजार 130 रुपए का आहरण कर भुगतान किया गया। पुनः बिल लगाकर जून 2023 में उपादान के रूप में राशि 16 लाख 76 हजार 817 रुपए का आहरण कर प्रधान पाठक शरद चंद्रभूषण लाल के खाता में जमा किया। वरिष्ठ कोषालय अधिकारी द्वारा जांच में इस शिकायत की पुष्टि हुई है। इस मामले में भी डीपीआई ने बीईओ को दोषी पाया है।

जांच के बाद फैसला

प्रधान पाठिका के पदभार ग्रहण नहीं किए जाने की शिकायत लोक शिक्षण संचालनालय में की गई। इसके बाद डीपीआई द्वारा मामले की जांच की गई। डीपीआई के अनुसार जांच में ईश्वर प्रसाद को प्रथम दृष्ट्या पूर्णतः दोषी पाया गया है। डीपीआई ने अपने आदेश में कहा है, विकासखंड शिक्षा अधिकारी जैसे प्रशासनिक पद पर पदस्थ रहते हुए ईश्वर प्रसाद का यह कार्य अनुशासनहीनता का द्योतक है तथा छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण के विपरीत गंभीर कदाचार है। उन्हें निलंबित करते हुए निलंबन काल में मुख्यालय कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, कोरबा नियत किया गया है।

प्रधान पाठिका का निधन

कोरबा जिला शिक्षा अधिकारी के उपाध्याय तामेश्वर  ने बताया कि, जिन प्रधान पाठिका को नियमविरुद्ध राशि प्रदान करने का आरोप बीईओ पर लगा है, रिटायरेट के कुछ माह पश्चात ही उनका निधन हो चुका है। ऐसे में वेतन रिकवरी संभव नहीं है। जब मामला सामने आया तब वे जीवित थी।  जांच पूर्ण होने तक उनका निधन हो गया।