राजा शर्मा- खैरागढ़। केंद्र और राज्य सरकार की नारी सशक्तिकरण योजनाएं अब रंग लाने लगी हैं। इसका सजीव उदाहरण हैं खैरागढ़ ब्लॉक के ग्राम मुकुंद खपरी की सावित्री साहू। विहान समूह की सदस्य सावित्री साहू पूरे जिले में 'ड्रोन दीदी' के नाम से जानी जाती हैं। वे जिले की एकमात्र ऐसी महिला हैं जो ड्रोन के माध्यम से आधुनिक खेती करती हैं। 

नारी सशक्तिकरण और कृषि के आधुनिकीकरण को लेकर किसानों और महिलाओं को सशक्त करने के लिए शासन- प्रशासन द्वारा विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जाता है। खैरागढ़ जिले के भी कृषि प्रधान जिला होने के चलते यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि पर निर्भर है, ऐसे में नारी सशक्तिकरण और आधुनिक खेती को लेकर रोल मॉडल बन चुकी हैं सावित्री साहू। 

खेती में परिवार का हाथ बंटाने के साथ ही अलग से कमाई भी

खेती में अपने परिवार का हाथ बंटाने के साथ- साथ ही ड्रोन से उनका खेती का काम आसान हो गया है। ड्रोन से समय की बचत के साथ साथ ही पानी और दवाइयों की मात्रा भी कम लगती है, साथ ही ड्रोन के आने से उन्हें ज्यादा मजदूरों की आवश्यकता भी अब खेती में नहीं पड़ती। इतना ही नहीं इस ड्रोन से अब सावित्री साहू रोजाना  2 से 3 हजार रुपये तक कमा भी लेती हैं। केंद्र सरकार की 'नमो ड्रोन दीदी' योजना से ड्रोन मिलने और इसके उपयोग से खेती के काम को आसान और साथ ही आर्थिक लाभ कमाने से अब सावित्री साहू काफी खुश हैं। 

ड्रोन दीदी योजना के पहले ही चरण में मिला लाभ

ड्रोन दीदी सावित्री साहू के पति प्रेमचंद साहू बताते हैं कि, उनका पिछले दो साल से यह सपना था कि, खेती के काम को आसान करने के लिए ड्रोन लेना है। परंतु इसकी कीमत बहुत ज्यादा होने के कारण नहीं ले पा रहे थे। जिसके बाद उन्हें शासन की योजना के तहत ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी मिली। वहीं जिला प्रशासन भी अब ड्रोन दीदी योजना के पहले चरण में जिले की सावित्री साहू को ड्रोन मिलने और उससे उनके द्वारा किए जा रहे कृषि कार्य के साथ- साथ ही आर्थिक सुदृढता को देखते हुए आने वाले दिनों में और भी जिलेवासियों को इस योजना के तहत लाभ दिलाने और कृषि के आधुनिकीकरण की ओर पहल करने की बात कर रहा है। 

ड्रोन चलाने के लिए ग्वालियर में मिला 15 दिन का प्रशिक्षण

एडीएम प्रेम कुमार पटेल ने कहा कि, सावित्री साहू महिला समूह से जुड़ी हुई एक्टिव महिला हैं, जिन्हें केंद्र सरकार की ड्रोन दीदी योजना के तहत पहले चरण में लाभ प्राप्त हुआ है। ड्रोन चलाने के लिए ग्वालियर में उनका 15 दिन का प्रशिक्षण भी हुआ है। ड्रोन की मदद से एक एकड़ खेत में कीटनाशक का छिड़काव मात्र 10 मिनट में हो जाता है, जिसे हाथ से करने में दो घंटे से ज्यादा का समय लगता है। जिले के लिए गर्व की बात है कि, गांव की एक महिला आधुनिक तरीके से कृषि कर रही हैं। जो उपकरण अभी बड़े- बड़े किसानों के पास नही हैं वो उन्हें मिला है। जिला प्रशासन आने वाले दिनों में और भी जो महिला समूह की सदस्यों को इस योजना से लाभ पहुंचाने की कोशिश करेगा, ताकि कृषि के आधुनिकीकरण के साथ ही महिला सशक्तिकरण को भी बल मिल सके।