रायपुर। उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में लाखों का घोटाला सामने आया है। पूरा घोटाला डिजिटली हुआ है। जांच के लिए आई उच्च शिक्षा विभाग की टीम सोमवार सुबह से ही कागजों और दस्तावेजों की जांच करती रही, लेकिन वर्षों से चल रहे घोटाले की तफ्तीश देर रात तक भी पूरी नहीं हो सकी। टीम अब मंगलवार को फिर से जांच के लिए जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग में डिजटली घोटाले का यह अपनी तरह का पहला मामला है। यहां के एक कर्मचारी आकाश श्रीवास्तव पर घोटाले का आरोप लगा है। जांच के दायरे में रुसा को भी ले लिया गया है। अंदरूनी सूत्रों के प्राप्त जानकारी के अनुसार, सोमवार शाम तक हुई जांच में लगभग 15 लाख की धोखाधड़ी की पुष्टि हो गई है। जांच आगे बढ़ने के बाद घोटाले की राशि में वृद्धि संभावित है।
दरअसल, कर्मचारियों का वेतन जारी करने डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल होता है। उच्च शिक्षा विभाग के साइंस कॉलेज परिसर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी आकाश श्रीवास्तव के पास उच्च शिक्षा संचालनाय के आयुक्त के डिजिटल हस्ताक्षर थे। इसी हस्ताक्षर का प्रयोग कर वह उच्च शिक्षा विभाग को उस कर्मचारी के वेतन के लिए प्रतिमाह पत्र प्रेषित करता रहा, जो वहां कार्यरत ही नहीं था। उक्त कर्मचारी रूसा अर्थात राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान में कार्यरत है। उसे रूसा कार्यालय से वेतन प्राप्त होता है, लेकिन आरोपी ने उसे उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में कार्यरत बताकर उसका वेतन जारी करने भी विभाग को नियमित रूप से पत्र लिखा। इसके लिए उसने आयुक्त के डिजिटल हस्ताक्षर के प्रयोग किए।
रूसा कर्मचारी से लेता रहे पैसे
चूंकि वेतन कर्मचारियों को कैश देने के स्थान पर ऑनलाइन दिया जाता है, इसलिए आरोपी रूसा के उक्त कर्मचारी से प्रतिमाह यह कहकर वेतन की पूरी राशि लेता रहा कि उसके खाते में विभाग द्वारा दो बार पैसे भेज दिए गए हैं, इसलिए एक राशि वह लौटा दे। कई वर्षों से यह सिलसिला चलता रहा। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा भेजी गई टीम इस बात की भी जांच कर रही है कि रूसा के उक्त कर्मचारी तथा मि लूसिव क्षेत्रीय कार्यालय के उच्च अधिकारियों की इस घोटाले में कोई भूमिका है अथवा नहीं। ना सिर्फ वेतन बल्कि फर्जी वेंटर सहित अन्य तरह के बिल लगाकर भी उक्त सहायक ग्रेड-2 कर्मचारी द्वारा पैसे निकाले जाते रहे।
नहीं मिले दस्तावेज, कर्मचारी भी गायब
उच्च शिक्षा विभाग को कर्मचारी की शिकायत बीते दिनों प्राप्त हुई थी। इसके बाद विभाग ने जांच बैठाई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा भेजी गई टीम में एडिशनल फायनेंसर डीएस देवांगन और अकाउंटेंट आकाश दुबे शामिल हैं। टीम जब जांच के लिए पहुंची तो कर्मचारी बगैर कोई सूचना दिए कार्यालय से अनुपस्थित मिला। लेन-देन संबंधित दस्तावेज भी गायब मिले। जानकारी मुताबिक वित्तीय कार्य उक्त कर्मचारी द्वारा ही देखे जाते थे, इसलिए वित्तीय अनियमितताएं विलंब से सामने आ सकीं।