रायपुर। ईडी ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले की जांच के तहत बड़ी कार्रवाई की। एजेंसी ने झारखंड के आईएएस अफसर विनय कुमार चौबे, कुछ अन्य सरकारी अफसरों और झारखंड व छत्तीसगढ़ में कई शराब व्यापारियों एवं बिचौलियों से संबद्ध परिसरों पर छापेमारी की। इससे पहले, मई में झारखंड के पूर्व मंत्री के करीबी के घर पर ईडी ने छापेमारी की थी, जिसमें करोड़ों रुपए कैश बरामद किए गए थे। प्रवर्तन निदेशालय के झारखंड कार्यालय द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत हाल में एक आपराधिक मामला दर्ज किए जाने के बाद रांची और रायपुर में 15 परिसरों पर छापे मारे गए। छापेमारी के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के दलों ने प्रवर्तन निदेशालय के दलों को सुरक्षा प्रदान की।

ईडी ने छत्तीसगढ़ पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रायपुर में सात सितंबर को दर्ज की गई प्राथमिकी का संज्ञान लिया, जिसमें चौबे, छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) अधिकारी  एवं छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी और चार अन्य के नाम शामिल हैं। ईडी अफसरों ने बताया कि झारखंड काडर के 1999 बैच के आईएएस अधिकारी एवं वर्तमान में झारखंड पंचायती राज विभाग के सचिव चौबे, राज्य के आबकारी विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह, शराब व्यापारियों और संबंधित व्यक्तियों के परिसरों की तलाशी ली जा रही है। 

रायपुर में ईडी ने कारोबारी के इस जगह छापेमारी की

चौबे राज्य में 2022 की आबकारी नीति के कार्यान्वयन के दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव और राज्य के आबकारी सचिव थे। पुलिस की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि झारखंड शराब नीति 2022 राज्य के शराब सिंडिकेट को अवैध रूप से लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई थी, जिससे झारखंड सरकार को नुकसान हुआ। पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक टुटेजा, ढेबर, त्रिपाठी और अन्य ने एक 'सिंडिकेट' बनाया और झारखंड सरकार के अधिकारियों के साथ मिलकर राज्य की आबकारी नीति में संशोधन करने की साजिश रची। पुलिस के समक्ष दर्ज शिकायत के मुताबिक उन्होंने झारखंड में भारतीय और विदेशी शराब की आपूर्ति के लिए 'सिंडिकेट' के सदस्यों को ठेके दिए, जिससे धोखाधड़ी हुई और 2022 और 2023 के बीच राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। 'सिंडिकेट' पर जाली होलोग्राम के साथ बेहिसाब देसी शराब बेचने और अपनी करीबी कंपनियों को अवैध रूप से विदेशी शराब की आपूर्ति का आवंटन करने का भी आरोप है। 

निविदा की शर्तों में हेरफेर

प्राथमिकी के मुताबिक चौबे और गजेंद्र सिंह के संरक्षण में शराब आपूर्ति के लिए निविदा आवंटित करने के लिए देबर और उसेके 'सिंडिकेट' की प्लेसमेंट एजेंसियों ने निविदा की शर्तों में 'हेरफेर' किया। शराब थोक लाइसेंस देने के लिए अनिवार्य पात्रता शतों में दो लगातार वित्तीय वर्षों के लिए न्यूनतम 100 करोड़ रुपए का टर्नओवर होने की शर्त पेश की। ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब 'घोटाले' से जुड़े धनशोधन मामले में टुटेजा, ढेबर, त्रिपाठी और कुछ अन्य को गिरफ्तार किया है। झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए 13 नवंबर और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। 

छग में बनाया मसौदा, झारखंड में पेश किया

प्राथमिकी के मुताबिक छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ में लागू देसी और विदेशी शराब बेचने की नीति का मसौदा बनाया। उसे ही झारखंड सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। इस मसौदे के आधार पर झारखंड में नयी आबकारी नियमावली अधिसूचित की गई और उसे लागू किया गया। पुलिस ने आरोप लगाया कि इस कार्य के लिए त्रिपाठी को 125 करोड़ रुपए झारखंड सरकार से मिले।