रायपुर। आईपीएल में पंजाब किंग्स की ओर से छत्तीसगढ़ के रणजी खिलाड़ी शशांक सिंह इस बार एक फिनिशर के रूप में उभरकर सामने आए हैं, जिसकी चर्चा देशभर में है। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी ने क्रिकेट में नई पहचान दिलाई है। हरिभूमि, आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ विशेष बातचीत में इस आलराउंडर ने अपने केरियर को लेकर खुलकर बात की और क्रिकेट को लेकर अपना संघर्ष साझा किया। पेश हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश-

सवालः  क्रिकेट लंबे समय से खेल रहे हैं, लेकिन पिछले एक महीने से आप सुर्खियों में बने हुए हैं इसे लेकर क्या कहते हैं आ आप ?

जवाबः मुझे जो भी मिला है क्रिकेट से मिला है। लंबे समय से क्रिकेट खेलने का ही नतीजा है, जो आज सुर्खियों में हूं। यह सब मेहनत का फल है। मुझे अच्छा लगता है कि छत्तीसगढ़ से आईपीएल खेल रहा हूं।

सवालः पिता दबंग पुलिस अफसर हैं, फिर आप पुलिस का आकर्षण को छोड़कर बल्ले के खेल में कहा पड़ गए ?

जवाबः पापा जब 1996 में मध्यप्रदेश में एसपी थे, उस दौरान वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में इंडिया को हार मिली थी, तब से पापा का सपना था कि मैं क्रिकेट खेलू। जब मैंने खेलना शुरू किया तब पापा भी मेरे लिए बॉल फेका करते थे। मुंबई जाने के बाद मुझे लगा कि क्रिकेट को प्रोफेशनली लेना चाहिए। मुंबई जाकर पता चला कि मुझे कितनी मेहनत करनी है। मुंबई में मेरा और पापा का सपना पूरा हुआ।

सवालः इस बात में कोई सच्चाई है कि पापा ने मुंबई अपना ट्रांसफर इसलिए लिया क्योंकि वे अपने बेटे के कॅरिअर को चमकाने चाहते थे ? इसलिए उन्होंने अपने कॅरिअर से कॉम्प्रोमाइज किया। 

जवाबः यह बिल्कुल सच बात है। जिस समय मैंने  क्रिकेट शुरू किया था उस समय एमपी में क्रिकेट डेवलप नहीं हुआ था। मुंबई ट्रांसफर लेना पापा के लिए भी मुश्किल था क्योंकि एमपी में स्टेबल थे। अच्छी जगह क्रिकेट खेलू इसलिए पापा ने अपना ट्रांसफर मुंबई मेरे लिए लिया था। बहुत कम लोग होते हैं, जिनकी फैमली इतना सपोर्ट करती हैं। मुझे यह मिला है। पापा ने मेरे टैलेंट को बेहतर किया है।

सवालः पिता चाहते थे इसलिए क्रिकेटर बने या फिर ....।

जवाबः मुंबई में सुर्य कुमार यादव और मैं एक ही क्लब में थे। बचपन से सचिन सर को क्रिकेट खेलते हुए देखा है। अंडर 19 मैच के दौरान सचिन सर से भी मुलाकात हुई थी। उन्होंने अपने सपनों के बारे में हमें बताया था, जब मुलाकात हुई तो क्रिकेट को लेकर मोटिवेशन भी आया। क्रिकेट केरियर के पीछे सचिन सर का बहुत बड़ा हाथ है। मुंबई के डोमेट्रिकल क्रिकेट ने भी टैलेंट को बेहतर बनाने में मदद की।

सवालः आपकी पहचान ऑल आउंडर के रूप में है, लेकिन आपने खुद को किस रूप में तैयार करना चाहते है?

जवाबः पिछले आईपीएल में बॉल डालने का मौका मिला था, इस बार नहीं मिला। बेटिंग के साथ बॉलिंग में भी फोकस कर रहा हूं। मेरा मानना है कि अगर एक मैच में दो तीन ओवर डाला और विकेट मिल गया तो टीम को इसका फायदा होगा। आगे आप मुझे एक बेहतर ऑल आउंडर के रूप में जानेंगे।

सवालः तीन फार्मेंट में क्रिकेट खेला जा रहा है। पहले किस फार्मेंट में खेलना चाहते थे और अब किस रूप में देख रहे हैं?

जवाबः मुंबई से छत्तीसगढ़ रेड बॉल के लिए आया था। मुंबई में खेलने नहीं मिल रहा था। हमेंशा से सपना रहा है कि फस्ट क्लास में अच्छा खिलाड़ी बनना है। रेड बॉल में किक्रेट कठीन होता है। मुझे अभी और मेहनत करनी है। वाइ बॉल में टी-20 और वनडे में अच्छा खिलाड़ी हूं। 

सवालः राष्ट्रीय स्तर पर आपका करियर 2015 से शुरू हुआ था, आज 2024 है, जहां आपको पहुंचना था वहां पहुंच गए कि अभी आप पड़ाव में है?

जवाबः पहुंचना बहुत आगे हैं, जिस समय मैंने क्रिकेट को चुना था उस तय कर लिया था कि इंडिया के लिए खेलना है। जीवन में उतार चढ़ाव आते हैं, लेकिन लक्ष्य वही है। इंडिया के लिए खेलना का सपना पूरा नहीं हुआ है, इसके लिए पूरी मेहनत चालू है। मैं खुश हूं, जो भी कर रहा हूं।

सवालः क्रिकेट में आपने अपना गॉडफाडर कोई ढूंढ पाए या नहीं ? या फिर इसकी भी तलाश जारी है।

जवाबः मुंबई में कोच थे विद्या पराकर जिन्होंने मेरे किक्रेट को काफी बेहतर किया है। मैं हमेशा उनका शुक्रगुजार रहूंगा। जब मैं सनराइज हैदराबाद में गया वहां बेरन लारा सर मिले उनकी वजह से आज जब बेटिंग करने जाता हूं तो अच्छे मेंटर जोन में रहता हूं। जब मुझे कोई समस्या होती है क्रिकेट को लेकर तब में लारा सर से बात कर लेता हूं।

सवालः प्रीति जिंटा को आपका खेल पंसद आया कि नहीं या उन्होंने लगाता है गलत खिलाड़ी चुन लिया।

जवाबः प्रीति मैम हमारा काफी सपोर्टिंग है। हम किक्रेट के साथ-साथ फिल्मों के बारे में भी बात करते हैं। क्रिकेट को लेकर बहुत ज्यादा नॉलेज है। उन्हें सब पता रहा है कि छत्तीसगढ़ के कौन खिलाड़ी कैसे खेल रहा है। मुझे लाइक करती हैं। सोशल मीडिया में मेरे लिए उन्होंने फोटो के साथ तारीफ भी की थी। यह मेरे लिए बड़ी बात है।