रायपुर। प्राचार्य डॉ. किरण गजपाल के नेतृत्व और विभागाध्यक्ष डॉक्टर रश्मि मिंज के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय पोषण माह, 2024 के अंतर्गत शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय रायपुर के गृह विज्ञान विभाग ने विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। ‘पढाई भी पोषण भी’ विषय से ये आयोजन किया जा रहा है।
इस आयोजन के प्रथम कड़ी में दिनांक 17 सितंबर 2024 को पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की द्वितीय कड़ी यानि 18 सितंबर 2024 से लेकर 20 सितंबर 2024 तक तीन दिवसीय पारंपरिक व्यंजन कार्यशाला का आयोजन इतिहास, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें पहले दिन 18 सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का प्रशिक्षण महाविद्यालय के इतिहास विभाग की प्राध्यापक डॉक्टर सरिता दुबे द्वारा दिया गया।
इसे भी पढ़ें : सीएम से मिलने उमड़े लोग : जनदर्शन में पहुंचने वालों के लिए चाय-पानी का विशेष इंतजाम
साइंस विभाग का यह प्रयास सराहनीय – मुख्य अतिथि डॉ शंपा चौबे
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद महाविद्यालय के इतिहास विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ शंपा चौबे ने कहा कि, किसी भी परिवार के दिल का रास्ता पेट से होकर गुजरता है अतः होम साइंस विभाग का यह प्रयास सराहनीय है।
छात्राओं को छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के मूल स्वरूप से परिचित कराना मुख्य उद्देश्य
इसके बाद विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ अभया जोगलेकर ने कार्यशाला का उद्देश्य बताते हुए कहा कि, नई पीढ़ी को भारतीय परंपरागत व्यंजनो की जानकारी देना हमारा काम है। प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ नंदा गुरवारा ने पोषण के महत्व के बारे में बताया। डॉक्टर सरिता दुबे ने जो छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की विशेषज्ञ के रूप में मौजूद रहीं उन्हें आमंत्रित किया गया। उन्होंने बताया कि, खाना बनाना और अच्छा बनाना दो अलग बातें होती हैं। उसके बाद चावल के चीले, फरा और चौसेला के विषय में आधारभूत जानकारी दी। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्राओं को छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के मूल स्वरूप से परिचित कराना था अतः सभी छात्राओं को स्वयं करके देखने के सिद्धांत पर कार्य सिखाया गया।
इसे भी पढ़ें : तेंदुए ने मार डाली 100 मुर्गियां : गांव में घुसकर किसान के घर मचाई तबाही, बकरी और कुत्ते की भी ली जान
छत्तीसगढ़ी आहार विशेषज्ञ के रूप में मौजूद रही डॉक्टर सरिता दुबे
छत्तीसगढ़ी आहार विशेषज्ञ के रूप में डॉक्टर सरिता दुबे ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि, कोई भी काम किया जाए उसमें सुघड़ता होना बेहद आवश्यक होता है। ऐसे न केवल भोजन स्वादिष्ट बनता है बल्कि भोजन की पौष्टिकता में भी वृद्धि होती है।
150 से ज्यादा छात्राओं ने लिया हिस्सा
इस कार्यक्रम में 150 से ज्यादा छात्राओं ने भाग लिया और अपने आप को लाभान्वित महसूस किया। इस कार्यक्रम में डॉ शंपा चौबे, डॉ रिचा शर्मा, डॉ मिनी एलेक्स, डॉ अरूणा श्रीवास्तव, डॉ नंदा गुरुवारा डॉ वासु वर्मा, डॉ सरिता दुबे, डॉक्टर अभया जोगलेकर, डॉ शिप्रा बैनर्जी, अलका वर्मा, रेखा दीवान, श्रीमति ज्योति मिश्रा, डॉ स्वाति सोनी, कु. श्रेया राठी समेत अन्य विभागों के प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक भी सक्रिय रूप से मौजूद रहे।