आकाश पवार- पेंड्रा। छत्तीसगढ़- मध्यप्रदेश की सीमा पर मरवाही वनमंडल के गौरेला रेंज क्षेत्र में बाघिन की लगातार मौजूदगी अब ग्रामीणों में चिंता का विषय बन गयी है।बाघिन की मौजूदगी के बावजूद मरवाही वनमंडल के अधिकारियों का लापरवाह रवैया सामने आ रहा है। बाघिन ज्वालेश्वर मंदिर के आसपास ही लगातार मौजूद है और पिछले चार दिनों में मध्यप्रदेश की सीमा में रहने वाले एक ग्रामीण की पालतू गाय के साथ ही छत्तीसगढ़ की सीमा में रहने वाले एक ग्रामीण की पालतू गाय सहित दो कुत्तों का शिकार कर चुकी है। 

ज्वालेश्वर मंदिर के आसपास आबादी वाले स्थान पर बाघिन लगातार विचरण कर रही है और मंदिर के पास दुकानों के सामने भी घूम रही है। बाघिन की मूवमेंट पर जहां मध्यप्रदेश के अमरकंटक रेंज की फॉरेस्ट टीम मुस्तैदी से नजर रखकर ग्रामीणों को एलर्ट कर रही है तो वहीं छत्तीसगढ़ के मरवाही वनमंडल के अधिकारी बाघिन प्रभावित क्षेत्र में जा तक नहीं रहे हैं। केवल दो बीटगार्ड को भेजकर बाघिन जैसे संरक्षित जानवर की सुरक्षा की खानापूर्ति कर रहे है। वहीं गांव में बाघिन के लगातार मूवमेंट के चलते ज्वालेश्वर मंदिर के पास के दो कच्चे मकान में रहने वाले ग्रामीणों को छत्तीसगढ़ टूरिज्म विश्राम गृह में शिफ्ट कर दिया गया है पर न तो वन विभाग न ही स्थानीय प्रशासन की टीम इनको किसी प्रकार की सुविधा मुहैया करा रही है। 

तीन दशक बाद देखी गई बाघिन 

यह टी- 200 बाघिन है जो कि पेंच टाईगर रिजर्व से पिछले दिसंबर महीने में छत्तीसगढ़ की सीमा में पहुंची है। जो कि, चार दिनों से इसी क्षेत्र में जिसे की टाईगर कॉरीडोर भी पहले से ही घोषित किया गया था। लेकिन तीन दशक बाद यहां टाईग्रेस को देखा गया है। वहीं मरवाही वनमंडल के अधिकारियों के लापरवाह रवैये से लोगों में भी नाराजगी देखी जा रही है। सोशल मीडिया में बाघिन के कई वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं।