रायपुर। छत्तीसगढ़ की रायपुर  के कलेक्टोरेट राजस्व शाखा में पदस्थ क्लर्क प्रदीप उपाध्याय सुसाइड केस में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। रायपुर एसएसपी संतोष सिंह ने बताया कि, प्रेम प्रसंग चलते क्लर्क ने आत्महत्या की थी। पुलिस ने अन्य लोगों के मोबाइल चैट से यह खुलासा किया है। मृतक के परिजनों ने जांच में पुलिस को सहयोग नहीं किया था। पुलिस ने जांच प्रतिवेदन कमिश्नर को भेज दिया है।

यह है पूरा मामला 

उल्लेखनीय है कि, रायपुर के कलेक्टोरेट राजस्व शाखा में पदस्थ क्लर्क प्रदीप उपाध्याय ने 28 अक्टूबर को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या करने के पहले उन्होंने एक पत्र लिखा है, जिसमें विभाग के तीन अफसरों तत्कालीन एडीएम गजेंद्र ठाकुर, वीरेंद्र बहादुर सिंह एवं तत्कालीन एसडीओ देवेंद्र पटेल के नाम का उल्लेख करते हुए इन तीनों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए थे।  पत्र में उन्होंने अपनी मौत के लिए इन तीनों को जिम्मेदार बताया है। सुसाइट नोट में उन्होने लिखा है कि, जातिसूचक प्रताड़ना से त्रस्त होकर वे फांसी लगाकर आत्महत्या कर रहे हैं। इस मामले को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में ब्राम्हण समाज में गहरी नाराजगी है तथा दुखी और उद्देलित भी। मंगलवार को नवापारा ब्राम्हण समाज के लोग सुभाष चौक के पास इकट्ठा हुए और बाइक रैली के रूप में शहर का भ्रमण करते हुए तहसील कार्यालय पहुंचकर तहसीलदार को छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा।

समाज ने की थी FIR की मांग

ब्राम्हण समाज ने अपने ज्ञापने में लिखा है कि, 28 अक्टूबर को शासकीय कर्मचारी प्रदीप उपाध्याय ने अपने उच्चाधिकारियों की जातिसूचक प्रताड़ना से त्रस्त होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। इस घटना से संपूर्ण छत्तीसगढ़ का ब्राम्हण समाज दुखी एवं उद्देलित है। मृतक प्रदीप उपाध्याय द्वारा अपने सुसाइट नोट में प्रताड़ित करने वाले अधिकारियों के नाम का उल्लेख भी किया है। अतएव उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उचित कार्रवाई करने के लिए महामहिम राज्यपाल से निवेदन किया गया है। 

जातिगत शब्दों के इस्तेमाल का भी आरोप

मृतक प्रदीप मिश्रा ने सुसाइट नोट में लिखा है कि, वे पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से अपना काम कर रहे थे। डायवर्सन शाखा के साथ ही राजस्व आपदा का काम भी उन्हें सौंपा गया था। परेशान करने के लिए तत्कालीन एसडीओ देवेंद्र पटेल जो अभी रायपुर में एडीएम हैं, अपर कलेक्टर गजेंद्र ठाकुर के साथ मिलकर नजीर शाखा में अतिरिक्त कार्य सौंपा। इन अफसरों ने कलेक्टर गौरव सिंह के सामने उनकी छवि खराब की। ब्राम्हण को यहां से भगाओ कहकर बेइज्जत किया गया। वीरेंद्र बहादुर सिंह तत्कालीन अपर कलेक्टर ने बुरी तरह से परेशान किया।

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सुसाइड नोट में तीनों अफसरों के लिए सजा की मांग

तीनो अधिकारी मेरे आत्महत्या करने के दोषी है इन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए। सुसाइट नोट में उन्होने 2019 से उक्त अधिकारियो के संपत्ति की जांच की मांग करने लिखा है। समाज के वरिष्ठ प्रसन्न शर्मा ने कहा है कि ऊंचे पदो में रहने वाले अफसरो से हमारी गुजारिश है कि अपने ओहदो का जरा ध्यान रखे और जातिसूचक शब्दो का इस्तेमाल करने से बचें। ऐसे अपने किसी मातहत को भविष्य में आत्महत्या करने के लिए मजबूर न करें। जातिसूचक शब्द कितना पीड़ादायक होता है इसे वही समझ और जान सकता है जिनकी जाति के बारे में ऐसे शब्दो का इस्तेमाल होता है।