रायपुर। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के एक दिन पूर्व ही राम का ननिहाल राममय हो गया। रविवार से ही पूरे शहर में जश्न का दौर शुरू हो गया है। आयोजित हो रहे भागवत कथा और प्रवचन में ही राम से जुड़े प्रसंग ही संतों ने सुनाए। छोटे बच्चों ने जहां राम का रूप धरकर शहर का भ्रमण किया तो वहीं युवतियां रंगोली बनाती नजर आईं। श्रीराम मंदिर जैतूसाव मठ से लेकर मोहल्लों तक के मंदिर सजावट के साथ ऐतिहासिक दिन का साक्षी बनने तैयार हैं।

साइंस कॉलेज से राम मंदिर तक रविवार को भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें 501 बच्चे प्रभु श्रीराम के वेशभूषा में एक साथ नजर आए। इसके साथ रायपुर ने एक और विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। शोभायात्रा में 15 बड़े ट्रक से जब नन्हें बच्चे श्रीराम के वेशभूषा में निकले तो भगवान राम का ननिहाल राम मय हो गया। इस दौरान बच्चे 501 बार जय श्री राम का पाठ किया गया। डीजे के धून में लोग झूमते नजर आए।

सप्ताहभर पहले से तैयारी

साइंस कॉलेज मैदान में भगवान श्रीराम की वेशभूषा में सजे धजे सैकड़ों बच्चे सुबह 10 बजे से पहुंचने लगे थे। विश्व रिकॉर्ड बनाने शोभा यात्रा को लेकर तैयारी सप्ताह भर से चल रही थी। शोभायात्रा में नन्हें बच्चों ने भगवा वस्त्र धारण किया हुआ था। हाथों में धनुष लिए जब सभी ने नाम का पाठ किया तो बच्चों की मासूम अदाओं ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। भगवान श्रीराम के भक्तों में भक्ति की अविरल धारा बहती रही। दोपहर एक बजे विशाल शोभायात्रा निकाली गई।

ब्रज में प्रथा, नानी गांव में अधिक ढोल

दीनदयाल उपाध्याय आडिटोरियम में रविवार से संत विजयकौशल महराज की रामकथा शुरू हुई। रामकथा का रसपान कराते हुए महराज जी ने कहा, हमारी बृज की परंपरा है कि अगर बिटिया की शादी हो रही है तो ससुराल में ढोलक तो कम बजता है, लेकिन ननिहाल में उससे कहीं ज्यादा। अयोध्या में सोमवार को ढोलक बजेगी, लेकिन नानी के यहां एक दिन पहले से ही ढोलक बजनी शुरु हो गई है, क्योंकि नानी का परिवार ज्यादा खुश है। झोपड़ी से लेकर राजभवन तक दमक रहा है चमक रहा है, उछल रहा है, नाच रहा है, जगमगा रहा है।

शुभ मुर्हत पर होती है प्रभु कृपा

जीवन में जब शुभ मुहूर्त आता है, प्रभु की कृपा प्रकट होती है, तब व्यक्ति को भगवत चरित्र शुरु करने का सौभाग्य मिलता है। गोस्वामी जी ने लिखा है कि बड़े भाग्य तारी...अतिहरि कृपा से सत्संग मिलता है। मुश्किलें बहुत है, घर के झंझट है सत्संग में जाने के लिए लेकिन भगवान जिसको हाथ पकड़कर उठाकर ले आता है वही आता है बाकी सब सोए रह जाते है। सोया हुआ व्यक्ति सोचता है आज नहीं तो कल चले जाएंगे सत्संग सुनने, कल तो नहीं आता लेकिन कुछ और आ जाता है।