रायपुर। भगवान राम के ननिहाल में प्राण-प्रतिष्ठा से एक दिन पहले तीन अलग- अलग कृतित्व के जरिए विश्व रिकार्ड बनाने की तैयारी छत्तीसगढ़ राष्ट्रवादी संघ ने की है। साइंस कालेज मैदान पर विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए 2000 मीटर का गमछा तैयार किया जाएगा। इसे 28 जनवरी को अयोध्या में राम को भेंट किया जाएगा। वहीं 15 हजार वर्गफीट एरिया में 7 टन धान का इस्तेमाल करके प्रमोद साहू व उनकी टीम को रंगोली बनाने की जिम्मेदारी दी है। इसके साथ ही 21 जनवरी को दोपहर 2 बजे 15 ट्रेलर पर 501 बच्चों को राम स्वरूप दिया जाएगा। वह साइंस कालेज मैदान से वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर तक निकलने वाली शोभायात्रा में आकर्षण का केन्द्र होंगे। संघ के प्रदेश संयोजक वीरेंद्र दुबे और प्रदेश सचिव देवेंद्र कुमार ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक उप मुख्यमंत्री अरुण साव व संरक्षक के रूप में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, मंत्री रामविचार नेताम, मंत्री केदार कश्यप, विधायक व पूर्व मंत्री राजेश मूणत और पूर्व विधायक देवजी पटेल का मार्गदर्शन मिल रहा है।
राम की वेशभूषा में निकलेंगे 501 बच्चे
राजधानी में विश्व स्तरीय प्रोग्राम में भांचा राम के ननिहाल में प्राण-प्रतिष्ठा से एक दिन पूर्व महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसमें विश्व का सबसे बड़ा 2000 मीटर का गमछा बनाने के बाद उसे श्री राम के चरणों में समर्पित किया जाएगा। इसके लिए अयोध्या ट्रस्ट से जुड़े जिम्मेदारों से चर्चा की गई है। गमछा में जय श्री राम लिखा जाएगा। साथ ही शोभायात्रा में 501 बच्चे राम की वेशभूषा में शामिल होंगे। झांकी साइंस कॉलेज से राम मंदिर तक जाएगी। सीआएस द्वारा इस तीनों ही प्रयास को विश्व रिकार्ड में दर्ज कराने का प्रयास किया जा रहा है। जन सहयोग से होने वाले इस कार्यक्रम को लोगों से अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।
जिस सुषेण वैद्य ने बचाई थी लक्ष्मण की जान, चंदखुरी में उनका आश्रम
डागेश्वर यादव/चंदखुरी। युद्ध के दौरान घायल श्री राम के भाई लक्ष्मण का इलाज करने वाले लंका के वैद्य सुषेण को भगवान श्रीराम अपने ननिहाल लाए थे। इनका मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 27 किलोमीटर दूर नगर पंचायत चंदखुरी में मौजूद है। इसे भगवान राम की मां कौशल्या का जन्म स्थान माना जाता है। इस गांव को औषधि ग्राम या वैद्य ग्राम चंदखुरी भी कहा जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि यहां सुषेण वैद्य का आश्रम था। श्रीरामचरित मानस के लंका कांड में सुषेण वैद्य का जिक्र आता है। युद्ध में मेघनाद की शक्ति से श्रीराम के भाई लक्ष्मण अचेत हो गए थे। विभीषण ने राम को बताया कि लंका के राजवैद्य सुषेण लक्ष्मण को बचा सकते हैं। श्रीराम के कहने पर हनुमान जी सुषेण वैद्य को लंका से उनके भवन सहित ले आए थे। लक्ष्मण का परिक्षण करने के बाद सुषेण वैद्य ने उनका उपचार संजीवनी बूटी बताया था। सुषेण के बताए अनुसार हनुमान जी हिमालय से वह पर्वत उठा लाए थे, जिसमें बूटी थी।
भभूत से बीमारियों से मिलती है राहत
रायपुर जिले के नगर पंचायत चंदखुरी गांव में सुषेण वैद्य का मंदिर बना है, जिसमें एक बड़ा पत्थर भी रखा है, ऐसा माना जाता है कि सुषेण वैद्य इसी पत्थर पर बैठा करते थे। कौशल्या माता मंदिर के पुजारी संतोष चौबे के अनुसार मान्यता है कि सुषेण वैद्य के मंदिर की मिट्टी या भभूत लगाने से कई लोगों की बीमारियां ठीक हो चुकी हैं। प्रभु श्री राम और कौशल्या माता मंदिर के दर्शन करने दर्शन वाले भक्त मंदिर दर्शन करने के बाद मंदिर परिसर में स्थित वैध राज सुषेण वेद की समाधि एवं मंदिर का दर्शन कर पूजा अर्चना कर सुख स्वस्थ निरोग रहने की कामना करते हैं, जहां पर लगातार हजारों की संख्या में मंदिर एवं समाधि का दर्शन करने वालों की ताता लगी रहती हैं।