रायपुर- शिक्षक पोस्टिंग घोटाले में सरकार बदलते ही बड़ा खेला हुआ है। पिछली सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग के चार ज्वाइंट डायरेक्टरों समेत 9 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया था। इसी मसले को लेकर शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने चार में तीन को डीपीआई अटैच कर दिया, लेकिन सवाल तब खड़ा हो गया...जब एक की फाइल अटक गई...आखिर यह फाइल गई तो गई कहां ?
बता दें, विभागीय जांच के आदेश के बाद महाधिवक्ता सतीशचंद वर्मा से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से हाई कोर्ट में सरकार का पक्ष ठीक से रखा नहीं रखा गया था। यही कारण है कि, कोर्ट से चारों ज्वाइंट डायरेक्टरों का निलंबन खत्म हो गया।
ट्रांसफर में हुआ था गोलमाल...
दरअसल, 2713 शिक्षकों के ट्रांसफर के वक्त बड़ा घोटाला सामने आया था। क्योंकि सहायक शिक्षकों का पहले प्रमोशन किया गया और फिर आसपास के स्कूल खाली होते हुए भी उन्हें दूर वाले स्कूलों में भेजा गया था। ताकि बाद में पैसा लेकर शिक्षकों की आसपास में पोस्टिंग की जा सकें। जब पोस्टिंग का आदेश निकल गया तो जेडी ऑफिस से शिक्षकों के पास फोन आया, फोन पर बातचीत में उनसे कहा गया कि, आपको गांव नहीं जाना पड़ेगा...शहर के पास ही स्कूल मिल जाएगा। लेकिन इसके लिए डेढ़ लाख से ढाई लाख रुपए देना होगा। फिर क्या था इस तरह से शिक्षक पोस्टिंग में खेला हो गया...
मंत्री बृजमोहन के आदेश पर तीन निलंबन बहाल...
शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने चार ज्वाइंट डायरेक्टरों में से तीन का निलंबन बहाल कर दिया है। साथ ही इन्हें डीपीआई अटैच भी किया गया है। इनमें से के.कुमार, जीएस मरकाम और एसके प्रसाद शामिल हैं। वहीं अगर चौथे की बात की जाए तो जेडी हेमंत उपध्याय को डीपीआई अटैच करने के लिए नोटशीट चलाई थी। लेकिन उनकी फाइल कही गुम होती हुई दिखाई पड़ रही है। जबकि, जांच रिपार्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि, हेमंत उपध्याय के शिक्षक पोस्टिंग के बाद ट्रांसफर में व्यापक गड़बड़ियां हुई हैं।