रायपुर- लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से केंद्रीय मंत्री बनने की रेस में तीन नाम सामने आ रहे थे। एक रायपुर से सांसद बृहमोहन अग्रवाल, दूसरा दुर्ग से सांसद विजय बघेल और तीसरा पूर्व सीएम भूपेश बघेल को राजनांदगांव से हराने वाले संतोष पांडेय, लेकिन इन तीनों में से किसी को भी केंद्र में जगह नहीं मिली। हालांकि बिलासपुर से सांसद तोखन साहू को केंद्रीय मंत्री बनाया गया है। जिसको लेकर साहू समाज में खुशी की लहर देखने को मिल रही है। 

साहू समाज बहुसंख्यक है- मोतीलाल साहू 

साहू समाज के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक मोतीलाल साहू ने तोखन साहू को केंद्रीय मंत्री बनाने को लेकर कहा कि, साहू समाज बहुसंख्यक है, BJP ने हमेशा समाज का ध्यान रखा है। इसके बाद कांग्रेस पर हमला करते हुए बोले कि, ताम्रध्वज साहू का चेहरा आगे किया, लेकिन सीएम नहीं बनाया था। अब कांग्रेस को साहू समाज की याद आ रही है। 

नए लोगों को भी अवसर मिला है

साय मंत्रिमंडल में नए मंत्रियों को लेकर मोतीलाल साहू ने बताया कि, वरिष्ठ नेताओं के साथ नए लोगों को भी अवसर दिया गया है। आने वाले समय में भी सब मिलकर काम करेंगे। 

दो मंत्रियों को मिलनी चाहिए थी केंद्र में जगह- धनेंद्र साहू 

बिलासपुर सांसद तोखन साहू को केंद्र में जगह मिलने पर पूर्व PCC चीफ धनेंद्र साहू ने कहा कि, छत्तीसगढ़ से कम से कम दो मंत्री बनाए जाना चाहिए था। फिर भी तोखन साहू को मंत्री बनाने से BJP को लाभ जरूर होगा। छत्तीसगढ़ में साहू समाज की जनसंख्या सबसे ज्यादा है। साहू समाज की जनसंख्या के अनुरूप BJP-कांग्रेस समाज को महत्व देते हैं। साहू समाज को जितना महत्व पार्टियां देंगी, उनको लाभ होगा। 2018 में ताम्रध्वज साहू को CM मानकर साहू समाज ने वोट दिया था। 2023 में अरुण साव को CM मानकर साहू समाज ने वोट दिया था। 

पंच से केंद्रीय मंत्री तक का सफर 

तोखन साहू एक बेहद साधारण किसान परिवार से आते हैं। वे 2013 में पहली बार लोरमी विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। पूर्व रमन सिंह सरकार में उन्हें संसदीय सचिव भी बनाया गया था। तोखन साहू क्षेत्र में काफी लोकप्रिय जनप्रतिनिधि के तौर पर जाने जाते हैं। उनका जन्म ग्राम डिंडौरी, जिला मुंगेली में 15 अक्टूबर 1969 को हुआ है। उन्होंने एम काम तक की शिक्षा ग्रहण की है। उनका विवाह लीलावती साहू से हुआ है। वर्ष 1994 में लोरमी के छोटे से गांव सूरजपुरा से 1994 में पंच पद से उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। वे पंच से सरपंच, फिर जनपद सदस्य रहे। उसके बाद वर्ष 2013 में लोरमी विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। वे 2005 में ब्लॉक लोरमी क्षेत्र क्रमांक-18 फुलवारीकला से जनपद सदस्य बने। वर्ष 2010 में यहां से महिला आरक्षण के चलते पत्नी लीलावती साहू जनपद सदस्य और फिर लोरमी जनपद पंचायत की अध्यक्ष भी बनीं। वर्ष 2012 में वे जिला सहकारी बैंक बिलासपुर के प्रतिनिधि बने, वर्ष 2013 में वे भाजपा के टिकट पर लोरमी विधानसभा से विधायक बने। 2014 में छत्तीसगढ़ वन्य जीव बोर्ड के सदस्य बने व 2015 में कृषि, मछलीपालन, पशुपालन, जलसंसाधन विभाग के संसदीय सचिव बने। वर्ष 2018 में भाजपा ने दोबारा लोरमी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वे कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ रहे धर्मजीत सिंह से हार गए।
 
बिलासपुर बीजेपी का किला बन गया 

बिलासपुर लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन अब यह बीजेपी का किला बन चुका है। बीजेपी ने यहां पिछले सात चुनाव में लगातार जीत दर्ज की है। वहीं कांग्रेस यहां 1952 से लेकर 1991 (1977 जनता पार्टी) को छोड़कर आठ चुनाव में जीत दर्ज कराने में कामयाब रही है। बीजेपी यहां 7 बार जीत दर्ज कर चुकी है तो वहीं जनता पार्टी ने एक बार 1977 में जीत हासिल की थी। 2024 के चुनाव में तोखन साहू ने 1 लाख 64 हजार 558 वोटों से जीत हासिल की है। तोखन को कुल 7 लाख 24 हजार 937 वोट मिले हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव को 5 लाख 60 हजार 379 वोट मिले हैं। साहू ने बीजेपी को बिलासपुर में 7वीं बार जीत दिलाई है। इस तरह जीत का अंतर 1 लाख 64 हजार 558 रहा। साहू के कुल वोट का प्रतिशत 53 25 और यादव का 41.16 प्रतिशत रहा। इस बार यहां से बीजेपी के किसान नेता तोखन साहू और कांग्रेस के भिलाई से विधायक देवेंद्र यादव के बीच सीधी टक्कर थी।