रायपुर। टॉपर्स कांड से चर्चित संस्कृत विद्यामंडल ने अब परीक्षाओं में नामांकन से लेकर मूल्यांकन तक की प्रक्रिया में बदलाव कर दिए हैं। इनमें मंडल के केंद्राध्यक्ष नियुक्त किए जाने से लेकर थाने में प्रश्नपत्र रखे जाने तक के बदलाव शामिल हैं। ये बदलाव हरिभूमि द्वारा बीते शैक्षणिक सत्र में हुए टॉपर्स कांड के खुलासे के बाद किए गए हैं। इस बार संस्कृत विद्यामंडल की परीक्षाएं माध्यमिक शिक्षा मंडल की तर्ज पर ही होंगी। नवमी से बारहवीं कक्षा तक की परीक्षा में इस बार 3 हजार 882 विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं। गौरतलब है 19 और 20 मई 2024 को प्रकाशित खबर में हरिभूमि ने टॉपर्स कांड का पर्दाफाश किया था।

संस्कृत बोर्ड के अधीन हो रही गड़बड़ियों का खुलासा करते हुए हरिभूमि ने यह बताया था कि किसी तरह से परीक्षा में अनुपस्थित छात्रा को टॉपर बना दिया गया था। टॉपर्स की विभिन्न विषयों की उत्तरपुस्तिकाओं में भिन्न-भिन्न हैंडराइटिंग मिली थी। उत्तरपुस्तिकाओं में पृथक अंक तथा अंकसूची में पृथक अंक का जिक्र था। इस खुलासे के बाद मेरिट लिस्ट रद्द की गई थी। जांच कमेटी बनाते हुए तत्कालीन सचिव अल्का दानी को उनके पद से हटाया गया था। परीक्षा प्रभारी लक्ष्मण साहू को सस्पेंड किया गया था तथा कंप्यूटर ऑपरेटर और लिपिक को बर्खास्त किया गया था। 4. संभाग स्तर पर जंचेंगी कॉपियांः छात्रों की कॉपियां अब संस्कृत विद्यामंडल के स्कूलों में नहीं जांची जाएंगी। इन्हें संभाग स्तर पर केंद्र बनाकर जांचा जाएगा।

बदलाव इसलिए 

बीते वर्ष उत्तरपुस्तिकाएं जांचे जाने के दौरान गड़बड़ी हुई थी। जो छात्र फेल था, उसे भी 80 प्रतिशत से अधिक अंक दे दिए गए। मूल्यांकन कार्य संभाग स्तर पर संभागीय संयुक्त संचालक की निगरानी में होने से मूल्यांकन निष्पक्ष रूप से होगा।

पर्यवेक्षक शासकीय विद्यालयों से 

अब तक संस्कृत स्कूल के प्राचार्य ही संस्कृत विद्यामंडल द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में केंद्राध्यक्ष होते थे। अब माध्यमिक शिक्षा मंडल के अंतर्गत आने वाले विद्यालयों के प्राचार्य संस्कृत विद्यामंडल की परीक्षाओं में केंद्राध्यक्ष होंगे।

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बदलाव इसलिए 

बीते वर्ष हुए टॉपर्स कांड में केंद्राध्यक्ष रहे प्राचार्यों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी। एक प्राचार्य की रिश्तेदार मोहनमती ने टॉप किया था। जो परीक्षा में अनुपस्थित थी। बाद में टॉपर को ही अनुत्तीर्ण घोषित किया गया।

मंडल के साथ परीक्षा 

जिन तिथियों में मंडल की परीक्षाएं होंगी, उसी तारीखों में संस्कृत विद्यामंडल भी परीक्षाएं लेगा।

बदलाव इसलिए 

कई विद्यार्थी दोनों बोर्ड की परीक्षा में शामिल हो जाते थे। कोई जांच नहीं होती थी। एक ही तिथि में माशिम और संस्कृत बोर्ड की परीक्षा होने पर छात्र किसी एक ही बोर्ड की परीक्षा में बैठ पाएंगे।

समझिए इन बदलावों को

1 नामांकन प्रक्रिया दुरुस्त

माशिम दसवीं-बारहवीं की परीक्षाएं प्रारंभ होने के महीनों पूर्व ही नामांकन प्रक्रिया शुरू कर देता है। संस्कृत विद्यामंडल भी अब यह प्रक्रिया अपनाने जा रहा है। इससे उन सभी छात्रों की पिछली कक्षाओं की जानकारी उपलब्ध हो जाती है। अर्थात किसी भी ऐसे व्यक्ति को जिसने पिछली कक्षा उत्तीर्ण नहीं की हो, उसे परीक्षा में बैठने का अवसर नहीं मिलेगा।

बदलाव इसलिए

पूर्व की व्यवस्था में आठवीं कक्षा में उत्तीर्ण नहीं रहने वाले छात्र को भी नवमी में बैठा दिया जाता था। यह धांधली अब रुकेगी। इसी तरह दसवी, ग्यारहवीं, बारहवीं में भी पूर्व कक्षा की अंकसूची में बदलाव करके छात्रों को परीक्षा में शामिल कर दिया जाता था।

2 थाने में रखे जाएंगे प्रश्नपत्र

अब संस्कृत विद्यामंडल के प्रश्नपत्र संबंधित जिले के थानों में रखे जाएंगे। माध्यमिक शिक्षा मंडल के प्रश्नपत्र भी थानों में ही रहते हैं। परीक्षा शुरु होने के कुछ देर पूर्व ही इन्हें विद्यालयों में थाना स्टाफ की निगरानी में प्रेषित किया जाएगा। इससे किसी भी स्तर पर पेपर लीक होने की आशंका नहीं रहेगी।

बदलाव इसलिए

अब तक संस्कृत बोर्ड के प्रश्नपत्र छपाई के बाद विद्यालयों में ही रख दिए जाते थे। इस बाद की आशंका बनी रहती थी कि संबंधित विद्यालय के शिक्षक, प्राचार्य अथवा अन्य अधिकारी-कर्मचारी इसे लीक कर दें। किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण पकड़े जाने का भी भय नहीं था।

3 माइग्रेशन अनिवार्य

उदाहरणस्वरूप यदि छात्र पूर्व में सीबीएसई बोर्ड का छात्र था और बाद में माध्यमिक शिक्षा मंडल के अंतर्गत परीक्षा में शामिल होता है तो उसे सीबीएसई से माइग्रेशन सर्टिफिकेट हासिल करना होगा तथा माशिम की ग्राह्यता भी अनिवार्य होगी। यदि प्रक्रिया अब संस्कृत विद्यामंडल में अपनाई जा रही है। यदि विद्यार्थी पूर्व में किसी अन्य बोर्ड का विद्यार्थी था तथा अब संस्कृत विद्यामंडल के अंतर्गत परीक्षा में शामिल होना चाहता है तो उसे पूर्व बोर्ड से माइग्रेशन हासिल करना होगा तथा संस्कृत विद्यामंडल की ग्राह्यता भी अनिवार्य होगी।

बदलाव इसलिए

अन्य बोर्ड में असफल होने वाले छात्र संस्कृत विद्यामंडल की परीक्षा में शामिल होकर उत्तीर्ण होने का सर्टिफिकेट हासिल कर लेते थे, क्योंकि इसमें नकल अपेक्षाकृत आसान था। अब दूसरे बोर्ड से कोई भी छात्र आसान से इसमें नहीं आ सकेगा।

हर स्तर पर निगरानी

संस्कृत विद्यामंड के सचिव राकेश पांडेय ने कहा कि, हमने हर स्तर पर व्यवस्था कड़ी कर दी है। संस्कृत विद्यामंडल की विश्वसनीयता बनाए रखना और पारदर्शी परीक्षा हमारी प्राथमिकता है।