रायपुर। शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग और छत्तीसगढ़ समाजशास्त्रीय परिषद द्वारा संयुक्त रूप से दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का विषय था ‘वैश्वीकरण और भारतीय परिवार : बदलते परिदृश्य तथा उभरती चुनौतियां’ इस विषय पर प्राचार्य डॉक्टर किरण गजपाल ने कहा कि, परिवार में वैवाहिक भूमिका और सत्ता के वितरण में बदलाव हो रहा है। अब अधिकार परिवार के बुजुर्गों के हाथ से निकलकर युवाओं को स्थानांतरित हो रहे हैं। परिवार जैसी संस्था टूटने के कारण ही झूलाघर, नर्सरी, वृद्ध आश्रम आदि बढ़ रहे हैं इस सेमिनार का उद्देश्य है समाज में बढ़ते विघटन को कम करना।
मुख्य अतिथि प्रसन्ना आर, आईएएस, सचिव, उच्च शिक्षा, छत्तीसगढ़ शासन ने कहा कि, दू ब महिला महाविद्यालय की महिला शिक्षा में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने छात्राओं से परिवार और सामाजिक परिवर्तन पर उनके विचार जाने। फिर उन्होंने कहा कि, एआई का प्रभाव परिवारों पर भी पड़ेगा, भारतीय परिवार की संरचना विदेश से अलग थी और बेहतर थी। आज विवाह रूपी संस्था को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है। तकनीक और प्रौद्योगिकी ने परिवार के बदलने में बड़ा योगदान दिया है। विवाह विच्छेद, घटता जन्म दर, कम होती सहनशीलता आज एक बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि, परिवार के सभी सदस्यों को कम से कम 1 घंटे बिना मोबाइल के आपस में बात करनी चाहिए क्योंकि संप्रेषण ही परिवार को मजबूती प्रदान करता है।
जितनी लड़कियों की भ्रूण हत्या हुई, उतनी किसी युद्ध में भी नहीं हुई - डॉ भूप सिंह
विशिष्ट अतिथि डॉ भूप सिंह, द्रोणाचार्य शासकीय महाविद्यालय, गुरुग्राम ने बीज वक्तव्य में कहा कि, जितनी लड़कियों की भ्रूण में हत्या हुई उतनी तो युद्ध में भी नहीं हो सकती। ऐसे ही कई विपरीत कामों ने समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। कार्यक्रम की संयोजक डॉक्टर प्रीति शर्मा ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि, परिवार का उद्देश्य चारित्रिक निर्माण और सामाजिक आचरण निर्मित करने का रहा है। लेकिन बेहतर रोजगार और शिक्षा के लिए बढ़ती गतिशीलता ने परिवार पर प्रभाव डाला है और संयुक्त परिवार एकल परिवार में बदल रहे हैं। टूटते परिवार, एकल पालक, बढ़ते वृद्धाश्रम आज चिंता का विषय है। बढ़ती व्यक्तिवादिता ने भी नए मतभेद उत्पन्न किए हैं इन सबसे जूझने का संकल्प लेना होगा।
वैचारिक मतभेद भी है परिवार विघटन का कारण
आईक्यूएसी प्रभारी डॉक्टर उषा किरण अग्रवाल ने बदलते वैश्वीकरण और परिवार के मनोवैज्ञानिक पक्ष पर अपने विचार रखे । मंच संचालन करते हुए डॉ मनीषा महापात्र ने कहा कि, पीढ़ी का अंतर, बदलती जीवन शैली आदि से वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो रहे हैं जिससे तनाव हो रहा है। प्रथम सत्र में डॉ अरविंद जोशी, बनारस हिंदू विवि ने कहा कि, आज पूरा विश्व एक बाजार है जबकि भारत के लिए पूरा विश्व एक कुटुंब है। सोशल मीडिया ने आज असीम सूचनाओं को परोस दिया है पर अफसोस वे अधिकांशतः गलत हैं और उसका दुष्प्रभाव समाज को भुगतना पड़ रहा है।
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ये रहे मौजूद
इसके बाद डॉ महेश शुक्ला, रीवा महाविद्यालय से, ने अपने व्याख्यान दिया। गृह विज्ञान विभाग की प्राध्यापक डॉ शिप्रा बैनर्जी, डॉ नंदा गुरुवारा और डॉ शिखा मित्रा की दो पुस्तकों का विमोचन किया गया। डॉ प्रमिला नागवंशी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस दौरान डॉ सुचित्रा शर्मा, डॉ गजपाल, डॉ हर्ष पांडे, डॉ सुशील गुप्ता, डॉ मंजू झा और डॉ सुनीता सत्संगी मौजूद रहे।