भिलाई। छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता की परंपरा बहुत समृद्ध है। परिवर्तन के दौर में पत्रकारों का दायित्व है कि वे समाज के साथ सरकार के कार्यों की आलोचना भी करें और रास्ता भी बताएं। यदि पत्रकारिता में अवमूल्यन हो रहा है तो वरिष्ठ पत्रकार आत्मचिंतन कर नई पीढ़ी का मार्गप्रशस्त करें। 

छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह बुधवार को महात्मा गांधी कलामंदिर भिलाई में आयोजित वसुंधरा सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। पत्रकार और राजनीतिक स्व. देवीप्रसाद चौबे की पुण्य स्मृति में साहित्यिक पत्रिका बहुमत द्वारा संस्कृति विभाग के के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्कार सतीश जायसवाल अध्यक्ष और बीएसपी के कार्यपालक निदेशक पवन कुमार विशिष्ट अतिथि थे। प्रसिद्ध पत्रकार प्रकाश दुबे और हरिभूमि व आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी, राजनीतिक पत्रकारिता के मायने, विषय पर केंद्रित व्याख्यान के मुख्य वक्ता थे। मंच पर पद्मश्री उषा बाई बारले, आरएस बारले और शमशाद बेगम भी उपस्थित थीं। पूर्व कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे व वरिष्ठ राजनीतिक प्रदीप चौबे विशेष रूप से उपस्थित थे। 

पत्रकार कड़वी की बजाय सच्ची बात लिखेंः डॉ. हिमांशु

इस अवसर पर राजनीतिक पत्रकारिता के मायने विषय पर हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी व वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश दुबे ने सार्थक विचार व्यक्त किए। डॉ द्विवेदी ने कहा कि जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां राजनीति नहीं है। खेलों में भी राजनीति हो रही है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में निगाह रखना ही राजनीतिक पत्रकारिता है। पत्रकारों को दलीय पत्रकारिता छोड़ निष्पक्ष होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पत्रकार यदि कड़वी बात की बजाय सच्ची बात लिखेंगे तो विश्वास बढ़ेगा। प्रकाश दुबे ने राष्ट्रीय राजनीति के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि पहले राजनेताओं की बातें बेबाकी से छपती थीं। लेकिन आज के दौर में ऐसा नहीं है। पत्रकारिता में पारदर्शिता और साहस जरूरी है। इस अवसर पर डॉ. रमन सिंह ने वरिष्ठ पत्रकार विश्वेश ठाकरे को प्रशस्तिपत्र शाल श्रीफल व सम्मान राशि भेंटकर वसुंधरा सम्मान से सम्मानित किया। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध का भी शाल श्रीफल से सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन आचार्य डॉ. महेशचंद्र शर्मा व आभार प्रदर्शन अरुण श्रीवास्त ने किया। 

वरिष्ठ पत्रकार युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करें 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने पत्रकार, लेखक विश्वेश ठाकरे को वसुंधरा सम्मान से सम्मानित किया। डॉ. सिंह ने अपने उद्बोधन में आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के पूर्व व बाद में पत्रकारिता में बहुत बदलाव आया है। छत्तीसगढ़ में देवीप्रसाद चौबे की तरह चंदूलाल चंद्राकर और मोतीलाल वोरा भी पत्रकारिता से राजनीति में आए थे। आज पत्रकारिता में अवमूल्यन क्यों आ रहा है, इसका क्या निदान है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करें।