रायपुर। प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब छात्र बगैर सिलेबस देखे ही प्रवेश ले रहे हैं। प्रदेश के सभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है, लेकिन अब तक सिलेबस ही प्राप्त नहीं हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मौजूदा शैक्षणिक सत्र से प्रथम वर्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। इसके तहत स्नातक पाठ्यक्रम चार वर्षीय होकर सेमेस्टर परीक्षा प्रणाली पर आधारित होगा। इस आधार पर सिलेबस में भी बदलाव किया गया है।
सिलेबस बदलाव के लिए विशेषज्ञ कमेटी बनाई गई थी, इस कमेटी ने पाठ्यक्रम तैयार कर विभाग को सौंप भी दिया है, लेकिन सेंट्रल कमेटी द्वारा अब तक इसे अनुमति प्रदान नहीं की गई है। इसके कारण अब तक नया सिलेबस जारी नहीं किया जा सका है। इन सबके बीच कॉलेजों में प्रवेश के लिए आ रहे छात्र सिलेबस की जानकारी मांग रहे हैं, लेकिन महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा उन्हें किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी जा रही है। विश्वविद्यालयों के पोर्टल में अब भी पुराने सिलेबस ही प्रदर्शित हो रहे हैं। कई विद्यार्थी सत्र के आरंभ से ही पढ़ाई शुरू कर देते हैं। वे सबसे अधिक परेशान हैं।
प्रोफेसर्स भी हलाकान
कक्षाएं प्रारंभ होने के पूर्व प्राध्यापकों द्वारा भी संबंधित टॉपिक की तैयारी की जाती है। सिलेबस प्राप्त नहीं हो सकने की स्थिति में अब तक प्रोफेसर्स भी किसी तरह की तैयारी नहीं कर पाए हैं। सूत्रों के अनुसार, नई शिक्षा नीति के अंतर्गत कई तरह के बदलाव सिलेबस में किए गए हैं। ऐसे में पुराने सिलेबस से पढ़ाई करा पाना संभव नहीं है। इसके इतर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कुछ दिनों पूर्व उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया गया था। इसके अनुसार, एक जुलाई से महाविद्यालयों में नियमित कक्षाएं प्रारंभ होनी है। महाविद्यालयों में प्रथम सूची जारी हो चुकी है और छात्रों ने प्रवेश लेना भी प्रारंभ कर दिया है। इसके बाद भी एक जुलाई से कक्षाएं सिलेबस के अभाव में शुरू नहीं हो पाएंगी।
15 जुलाई से लगाएंगे कक्षा
महंत कॉलेज के प्राचार्य डॉ. देवाशीष मुखर्जी ने बताया कि, हमें अब तक सिलेबस ही नहीं मिला है। ऐसे में एक जुलाई से पढ़ाई कैसे कराएंगे? हमने 15 जुलाई से कक्षाएं संचालित करने का फैसला किया है। यदि उस वक्त तक भी सिलेबस नहीं मिलता है, तब कुछ कह नहीं सकते।