Lok Sabha Election 2024: 'मोदी बनाम केजरीवाल' की गारंटी देशभर में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम राजनीतिक नेता महिलाओं को शुभकामनाएं और बधाई दे रहे हैं। यही नहीं, कई राजनीतिक दलों ने तो महिलाओं के लिए खास योजनाओं का भी ऐलान किया है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी इस सूची में शामिल हैं। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए 1000 रुपये की सम्मान राशि देने का ऐलान किया है।
अब सवाल उठता है कि इस बार के महिला दिवस में ऐसा क्या खास है, जिसने सभी दलों का ध्यान खींचा है। जवाब है कि कुछ समय बाद ही लोकसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा राजनीतिक दलों को लगता है कि नारी सशक्तिकरण का नारा देकर आने वाला चुनाव जीता जा सकता है। आइये जानने का प्रयास करते हैं कि नारी सशक्तिकरण के मुद्दा दिल्ली में किस राजनीतिक दल को विजयी बना सकता है। इससे पहले बताते हैं कि दिल्ली में पिछले लोकसभा चुनावों में बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का वोट शेयर कितना रहा था।
पिछले चुनावों में आप, कांग्रेस और बीजेपी का प्रदर्शन
वर्तमान में दिल्ली की कुल आबादी लगभग 2.16 करोड़ है, जिनमें से कुल मतदाताओं की संख्या 1.48 करोड़ है। राजधानी में महिला वोटर्स की संख्या 67 लाख से ज्यादा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी 7 सीटें जीती थीं, जबकि वोट शेयर 56 प्रतिशत था। इसी प्रकार, 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजें देखें तो पता चलता है कि बीजेपी ने 46 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सातों सीटों पर जीत हासिल की थी। मतलब यह है कि 2014 के मुकाबले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 फीसद ज्यादा वोट हासिल किए।
कांग्रेस की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में 15.1 प्रतिशत वोट शेयर मिले और एक भी सीट नहीं जीत सकी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस खाता नहीं खोल पाई, लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव के मुकाबले करीब 7 फीसद अधिक वोट के साथ कुल 22.5 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करने में कामयाब रही।
इसी प्रकार आम आदमी पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 32.9 प्रतिशत वोट हासिल किए, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को झटका मिला और महज 18.1 फीसद वोट हासिल कर पाई। इस बार कांग्रेस और आप मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, लिहाजा दोनों दलों को उम्मीद है कि दिल्ली लोकसभा से बीजेपी का पूरी तरह सफाया कर देंगे।
आम आदमी पार्टी को 'नारी शक्ति' से उम्मीद
दिल्ली की सियासत देखें तो आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के लिए एक हजार रुपये की सम्मान राशि देने का ऐलान किया है। केजरीवाल सरकार के मुताबिक 18 साल से ऊपर की हर महिला को यह सम्मान राशि मिलेगी। सीएम केजरीवाल का कहना है कि राजधानी में 45 से 50 लाख महिलाएं इस योजना से लाभांवित होंगी। हालांकि शर्त रखी गई है कि किसी अन्य सरकारी पेंशन की लाभार्थी को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा।
इसके अलावा सरकारी नौकरी करने वाले महिलाएं और इनकम टैक्स देने वाली महिलाएं भी इस योजना के दायरे से बाहर रहेंगी। बीजेपी ने इस योजना को लेकर आरोप लगाया था कि आम आदमी पार्टी महिलाओं को गुमराह करने में जुटी है, लेकिन महिलाएं जागरूक हैं और हर बार की तरह इस बार के लोकसभा चुनाव में भी पीएम मोदी को आशीर्वाद देकर बीजेपी को जिताने में सहयोग करेंगी।
महिला वोटर्स को लुभाने के लिए कई योजनाएं पहले से
सीएम केजरीवाल ने कहा था कि प्रत्येक महिला को एक हजार रुपये की सम्मान राशि देंगे, लेकिन यह राशि लोकसभा चुनाव के बाद दी जाएगी। बहरहाल, इस योजना से पहले भी कई योजनाएं चल रही हैं, जिससे महिला वोटर्स को आकर्षित किया जा सके। मसलन, डीटीसी बसों में महिलाओं की फ्री यात्रा पहले से चल रही है। वहीं, अब बिजली और बिल के मुद्दों को लेकर आप सड़कों पर उतर रही है। दरअसल, यह दोनों ऐसे मुद्दे हैं, जो कि महिलाओं पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी जहां इस मुद्दे को लेकर एलजी विनय सक्सेना और बीजेपी को घेरती आ रही है, वहीं पलटवार का भी सामना करना पड़ रहा है।
सीएम अरविंद केजरीवाल का भी कहना है कि एलजी और बीजेपी हमारे कामों में अड़चन न डालते तो दिल्ली और खुशहाल होती। अब कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बाद आप ने नारा दिया है, 'संसद में केजरीवाल तो दिल्ली होगी और खुशहाल'। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनाव में यह नारा काम करेगा या फिर पिछले दो लोकसभा चुनावों की तरह हार का सामना करना पड़ेगा।
दिल्ली में अड़चन, लेकिन पंजाब में क्या दिक्कत
बता दें कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले वादा किया था कि 18 साल से ऊपर की अविवाहित और विवाहित महिला को एक हजार रुपये की राशि दी जाएगी। इस योजना के तहत करीब 80 लाख महिलाएं लाभांवित होनी थीं। भगवंत मान की सरकार बनने के बावजूद अभी तक यह वादा पूरा नहीं हो सका है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लोकसभा चुनाव के चलते जल्द ही इस योजना का ऐलान हो सकता है, लेकिन पंजाब के किसान जिस तरह से बीजेपी के खिलाफ हैं और आम आदमी पार्टी को निश्चित जीत का भरोसा है, तो इस योजना के ऐलान में देरी होने से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।