Asha Kiran Shelter Home: दिल्ली के आशा किरण शेल्टर होम में 14 लोगों की मौत के बाद काफी बवाल हो रहा है। आप और बीजेपी इस घटना पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं। बीजेपी का कहना है कि यह आशा किरण शेल्टर होम दिल्ली की राज्य सरकार के नियंत्रण में आता है, इसलिए इसके लिए AAP जिम्मेदार है। दूसरी ओर आप कहती है कि इस शेल्टर होम में जो अधिकारी है, वह एलजी ने नियुक्त किया है, इसलिए यह बीजेपी की जिम्मेदारी है। यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भी चल रहा है। आज फिर हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की है।

कोर्ट ने सरकार को क्या आदेश दिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस घटना पर दोनों पक्षों को खूब फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने आज इस मामले में रिपोर्ट देखने के बाद सख्त आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिस आशा किरण शेल्टर होम में यह घटना घटित हुई है, उसमें 570 लोगों की रहने की कैपेसिटी है, लेकिन इस शेल्टर होम में क्षमता से कहीं अधिक 928 लोग रह रहे हैं। भीड़ होने के कारण लोगों के लिए अच्छी व्यवस्था नहीं है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जल्द से जल्द क्षमता से अधिक लोगों को दूसरे शेल्टर होम में भेजा जाए। इस मामले में अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी।

इससे पहले भी फटकार लगा चुकी है हाईकोर्ट

बताते चलें कि इससे पहले जब इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, तो कोर्ट ने आशा किरण केंद्र में मेडिकल और नॉन मेडिकल स्टाफ की कमी बताई थी। कोर्ट ने इस मामले में सामाजिक कल्याण सचिव को नई रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था। कोर्ट ने सामाजिक कल्याण सचिव को यह भी कहा कि इस बाबत धन आवंटन और मंजूरी के लिए एलजी वीके सक्सेना से संपर्क करें। कोर्ट ने कहा आशा किरण शेल्टर होम में आपात जैसी स्थिति बन गई है, इसी कारण से लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। 

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