CAG Reports: दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सीएजी की दूसरी रिपोर्ट पेश कर दी है। ये 240 पन्नों की रिपोर्ट दिल्ली के हेल्थ सेक्टर से जुड़ी हुई है। आज इसका पार्ट 1 पेश किया गया है। इसका पार्ट टू मोहल्ला क्लीनिक को लेकर होगा, जो सोमवार को सदन में पेश किया जाएगा। इस रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताएं देखने को मिली हैं। भाजपा विधायकों ने इस रिपोर्ट पर चर्चा की।
क्या बोले भाजपा विधायक हरीश खुराना
भाजपा विधायक हरीश खुराना ने कहा कि 240 पेज की रिपोर्ट देखें, तो इनमें वित्तीय अनियमितताएं की गई हैं। दिल्ली की पुरानी सरकार ने 11 साल के शासन में केवल तीन अस्पताल या तो बनाए हैं या उन्हें एक्सटेंड किया है। इंदिरा गांधी अस्पताल में पांच साल की देरी हुई और 314 करोड़ के फंड की वृद्धि हुई। बुराड़ी के अस्पताल को बनाने में भी देरी हुई। कुल तीन अस्पतालों को बनाने में देरी हुई, जिसके कारण 382 करोड़ का अतिरिक्त खर्च हुआ। वहीं कोरोना काल में केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को जो फंड दिया था, उसका भी इस्तेमाल नहीं किया गया।
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कोविड 19 में मिली धनराशि से खर्च हुए इतने पैसे
कोविड 19 के समय केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य महकमे को 787.91 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इनमें से मात्र 582.84 करोड़ रुपये का ही इस्तेमाल किया गया। इनमें से स्वास्थ्य कर्मियों के लिए मिले पैसों में से 30.52 करोड़ रुपए बचाए गए और आवश्यक दवाओं और पीपीई किट के लिए आवंटित किए गए पैसों में से 83.14 करोड़ रुपये बच गए।
सीएजी रिपोर्ट में हुए ये खुलासे
सीएजी की दूसरी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी है। दिल्ली के 27 अस्पतालों में से 14 अस्पतालों में ICU की सुविधा तक नहीं है। वहीं 16 अस्पतालों में ब्लड बैंक ही नहीं हैं। आठ अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं है और 15 अस्पतालों में शवगृह तक नहीं है। वहीं 12 अस्पताल ऐसे हैं, जो बिना एम्बुलेंस सेवाओं के चल रहे हैं। दिल्ली की पूर्व सरकार ने वादा किया था कि 32,000 बिस्तर बढ़ाए जाएंगे लेकिन केवल 1357 बेड ही बढ़ाए गए। इस वजह से मरीजों को जमीन पर लेटकर इलाज लेना पड़ता है। राजीव गांधी अस्पताल, जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर, निजी कमरे और आईसीयू बेड की कमी है।
मोहल्ला क्लीनिक और आयुष डिस्पेंसरियों के हाल बेहाल
मोहल्ला क्लीनिक और आयुष डिस्पेंसरियों में बुनियादी सुविधा तक नहीं है। मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय, बिजली बैकअप, चेक-अप टेबल और वेंटिलेशन तक की सुविधा नहीं है। वहीं आयुष औषधालयों में भी इसी तरह की सुविधाओं की कमी पाई गई। इसके अलावा दिल्ली के अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में स्टाफ की भारी कमी देखने को मिली। दिल्ली के अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी है। इनमें 21 फीसदी नर्स स्टाफ, 38 फीसदी पैरामेडिक्स स्टाफ की कमी है। वहीं कुछ अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की कमी 50 से 96 फीसदी है। वहीं कई ट्रॉमा सेंटर में आपातकालीन विभाग के लिए स्पेशल डॉक्टरों की कमी है।
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