Delhi Pollution: इन दिनों दिल्ली की हवा इतनी ज्यादा प्रदूषित है कि लोगों को इस हवा में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस प्रदूषण की वजह क्या है? इसी बात का पता लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने राजधानी के हॉटस्पॉट जोन में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ड्रोन से मॉनिटरिंग कराई है। यह ड्रोन पर्यावरण विभाग और डीपीसीसी को 120 मीटर की ऊंचाई से और 200 मीटर के रेडियस में प्रदूषण के कारणों की जानकारी  देगा। 

हॉटस्पॉट पर ड्रोन मैपिंग

प्रदूषण के कारणों को जानने और उन्हें प्रभावी रूप से कम करने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया के एक सूचीबद्ध एजेंसी ने शुक्रवार से वजीरपुर हॉटस्पॉट पर ड्रोन मैपिंग की। इसका उद्देश्य है कि प्रदूषण को कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जा सके। इसके लिए हॉटस्पॉट जोन में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ड्रोन से मॉनिटरिंग की जा रही है। पर्यावरण विभाग और डीपीसीसी इसकी रिपोर्ट के आधार पर जरूरी कदम उठाए जाएंगे। अगर इस प्रोजेक्ट में सफलता मिलती है तो इस प्रोजेक्ट को अन्य हॉटस्पॉट पर भी लगाया जाएगा। 

विंटर एक्शन प्लान

इस बात की जानकारी देते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि सर्दी से पहले दिल्ली में अचानक प्रदूषण बढ़ जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सराकर द्वारा 21 फोकस प्वाइंट पर आधारित विंटर एक्शन प्लान की घोषणा की गई थी। इसी प्लान के तहत ड्रोन तकनीक का उपयोग कर दिल्ली में प्रदूषण के हॉटस्पॉट इलाके की निगरानी करना भी है। पर्यावरण विभाग द्वारा पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वजीरपुर हॉटस्पॉट पर ड्रोन मैपिंग की डेमोंस्ट्रेशन की गई है। 

नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई

मंत्री ने बताया कि ड्रोन मैपिंग टेक्नोलॉजी प्रदूषण के कारणों का पता लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है। इसमें सेंसर लगा हुआ है और ये भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों और औद्योगिक क्षेत्रों के अलावा उन इलाकों में भी पहुंच सकता है, जहां पर निगरानी करना मुश्किल है। यह प्रोजेक्ट प्रदूषण का कारण समझने और प्रदूषण को लेकर बनाए गए नियमों का उल्लंघन करने वालों की पहचान करने में सक्षम है। इसके बाद नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।  

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