Delhi: बिहार के साहेबगंज का रावण नाम से विख्यात गैंगस्टर राम नरेश साहनी को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। वह पिछले दो दशकों से हत्या, डकैती, अपहरण, रंगदारी और एनडीपीएस एक्ट के करीब 25 मामलों में वांछित रहा है। गुजरात में सूरत के चर्चित कुमोद हत्याकांड में भी यह शामिल रहा है। इसके अलावा उत्तरी बिहार में अवैध शराब माफिया के तौर पर भी इसे जाना जाता है। 2014 में एनडीपीएस एक्ट के केस में इसे दिल्ली की अदालत ने भगोड़ा घोषित किया था।
एडिशनल सीपी संजय भाटिया के अनुसार, साहनी बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला है। 2005 में दशहरा के दिन सूरत में इसने अपने तीन अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर कुमोद नाम के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बाद में इस केस में आरोपी को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था।
पुलिस से बचने के लिए भाग जाता था नेपाल
25 मार्च, 2012 को अपराध शाखा की टीम ने इसके पास से 29.400 किलोग्राम कैनबिस (गांजा) बरामद किया था। जांच पूरी होने के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। 10 जुलाई, 2013 को केस की सुनवाई के दौरान आरोपी राम नरेश साहनी को बेटी की शादी के लिए अंतरिम जमानत मिल गई थी, लेकिन इसके बाद वह लगातार कानूनी कार्रवाई से बचता रहा और इसे भगोड़ा घोषित किया गया। इसके गिरोह में 50 से ज्यादा बदमाश हैं और उसके आतंक के कारण कोई भी व्यक्ति उसके बारे में जानकारी देने के लिए आगे नहीं आता था। जब भी पुलिस उस पर दबाव बनाती है, तो वह नेपाल भाग जाता था और वहां कुछ समय बिताने के बाद वापस बिहार आ जाता था।
पुलिस ने मुजफ्फरपुर से पकड़ा
पुलिस ने इसे मुजफ्फरपुर में उस समय पकड़ा, जब वह रजिस्ट्री के सिलसिले में तहसील आया था। इसे दबोचने में चार दिन से अधिक का समय लगा। आरोपी को गिरफ्तार कर मुजफ्फरपुर से ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया और अदालत में पेश किया गया। पूछताछ में साहनी ने बताया कि उसने 2006 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। अवैध तरीकों से काफी धन और संपत्ति अर्जित की है। उसके खिलाफ पहली एफआईआर साल 2005 में गुजरात के सूरत में हत्या और हत्या के प्रयास की धाराओं के तहत दर्ज की गई थी। इसके बाद में इसने मुजफ्फरपुर के साहेबगंज में एक और हत्या की। उसने अपनी आपराधिक गतिविधियों से एक साम्राज्य खड़ा कर लिया था और उसके आतंक के कारण उत्तरी बिहार में कोई भी उसके रास्ते से गुजरने की हिम्मत नहीं करता था।