Delhi Elections 2025: आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली की सीट से उम्मीदवार हैं, जिनके सामने कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित को चुनावी मैदान में उतारा है। संदीप दीक्षित दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं। केजरीवाल ने शीला दीक्षित को दो बार चुनाव में मात दी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि इस बार अरविंद केजरीवाल से अपनी मां के हार का बदला लेने के लिए संदीप दीक्षित विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली की सीट से लड़ रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि उन्होंने नई दिल्ली की सीट ही क्यों चुनी।
बता दें कि दि प्रिंट से बातचीत के दौरान संदीप दीक्षित से सवाल पूछा गया कि क्या नई दिल्ली विधानसभा सीट चुनाव लड़ने का फैसला उन्होंने किया था या फिर उनकी पार्टी ने खुद इसका चयन किया था। इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वह नई दिल्ली की सीट से जुड़े हुए है और उनकी मां शीला दीक्षित ने यहां से दो बार चुनाव लड़ा है, इस दौरान उन्होंने चुनाव की तैयारी करने के साथ लोगों से संपर्क में आए थे।
नई दिल्ली से संदीप दीक्षित का लगाव
संदीप दीक्षित ने बताया कि नई दिल्ली उनकी राजनीतिक कर्मभूमि रही है और यह उनके लिए कोई नया क्षेत्र नहीं है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की ओर से कहा गया था कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूर्व विधायकों और सांसदों को भी भाग लेना होगा, जिसके बाद इस बात पर चर्चा की गई। कांग्रेस का मानना था कि इस सीट से संदीप दीक्षित का काफी लगाव है, इसलिए उनका इस सीट से चुनाव लड़ना ज्यादा बेहतर होगा। हालांकि साल 2004 से पूर्वी दिल्ली का सांसद बनने के बाद वह उस क्षेत्र में बिजी हो गए थे, लेकिन 2014 चुनाव हारने के बाद उस इलाके से पहले जैसे संबंध नहीं रहे।
केजरीवाल के सामने मजबूत दावेदारी
संदीप दीक्षित ने नई दिल्ली विधानसभा से चुनाव लड़ने की दूसरी वजह बताते हुए कहा कि वह पिछले 10 सालों से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपना बयान और प्रतिक्रिया देते हुए हैं। उनके सरकार चलाने के तरीकों और आदि तथ्यों पर अपनी राय रखते रहे है। ऐसे में पार्टी ने सोचा होगा कि उनकी केजरीवाल के खिलाफ उम्मीदवार होने से कांग्रेस को फायदा हो सकता है।
केजरीवाल से निजी दुश्मनी या राजनीतिक रणनीति
इस दौरान जब संदीप दीक्षित से सवाल किया गया कि क्या यह निजी दुश्मनी का उदाहरण है या सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति है। इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि निजी और राजनीति में कोई अंतर नहीं होता, फिर चाहे वह पर्सनल लाइफ हो या पॉलिटिकल लाइफ हो। हमारी सोच, चरित्र और व्यवहार में कोई अंतर नहीं आता है, वह पूरे जीवन एक ही रहता है। एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह सच है कि केजरीवाल ने मेरी मां को चुनाव में हराया है और हराने वाला व्यक्ति हमेशा याद रहता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि मैं केजरीवाल से नफरत करता हूं या व्यक्तिगत द्वेष रखता हूं।
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