Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाते हुए 3000 टन अनुपचारित कूड़ा छोड़ने पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों पर प्रतिदिन 3000 टन कूड़ा छोड़ा जा रहा है और वो भी खुले आम। दरअसल, एमसीडी की तरफ से कूड़े के पहाड़ों का निदान करने के लिए 2027 तक का समय मांगने के लिए हलफनामा दायर किया गया था। इसको लेकर जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने दिल्ली एमसीडी को फटकार लगाई।
हलफनामा देखकर हैरान हुए जज
हलफनामे में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में दिसंबर 2027 तक अनुपचारित ठोस अपशिष्ट का निपटान करने के लिए 2027 तक का समय मांगा गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में क्या हो रहा है? हम ये हलफनामा देखकर हैरान हैं। इस हलफनामे में कूड़े के पहाड़ों का निपटारा करने के लिए दिसंबर 2027 तक का समय मांगा गया है। आप लोग कहना चाहते हैं कि ये कूड़े का पहाड़ 2027 तक मौजूद रहेगा। भारत सरकार इससे आंख नहीं मूंद सकती क्योंकि ये सब खुलेआम हो रहा है। ऐसे में राजधानी में इस मुद्दे से निपटने के लिए निर्माण गतिविधियों को भी बंद करने जैसे कठोर कदम भी उठाए जा सकते हैं।
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दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार साथ बैठकर निकालें हल
बता दें कि दिल्ली में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 को लागू करने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अनुपचारित कूड़ा कहां जाता है? इस पर MCD के अधिवक्ता ने कहा कि इसे भलस्वा और गाजीपुर की लैंडफिल साइट पर पहुंचाया जाता है। इस पर पीठ ने कहा कि आज के समय में 3000 टन कूड़ा है और अगले साल ये कूड़ा 5000 टन भी हो सकता है। इस पर अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि समस्या ये है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार आपस में इस मुद्दे पर समन्वय नहीं बना रहे। इस पर कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को हम एक साथ बैठाएंगे। हमें कोई कठोर निर्णय लेने के लिए मजबूर न करें और ऐसे मुद्दों को सख्ती से निपटाएं।
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