फतेहाबाद। अक्सर देखने व सुनने को मिलता है कि कई बार दहेज न देने पर दरवाजे से बारात लौट जाती है, लेकिन क्षेत्र के गांव किरढ़ान में बारात लेकर पहुंचे सरकारी अध्यापक ने दहेज में दिए जा रहे लाखों रुपये को इंकार कर समाज के सामने नई मिसाल पेश की है। उन्होंने अपने बेटे की शादी में श्रीफल और एक रुपया स्वीकार कर समाज में सकारात्मक बदलाव का संदेश दिया है। गांव के गुलाब सिंह नैन द्वारा लिए गए इस सराहनीय फैसले की ग्रामीण भी खुलकर प्रशंसा कर रहे हैं।

सरकारी अध्यापक पिता बोले-दहेज है बुराई

हिसार जिले के गांव मात्रश्याम निवासी गुलाब सिंह नैन के बेटे जितेन्द्र की बारात लेकर गांव किरढ़ान में पहुंचे थे। यहां जितेन्द्र का विवाह स्व. राजेन्द्र ज्याणी की पुत्री रचना के साथ हिन्दू रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न हुआ। विवाह में दुल्हन पक्ष की ओर से 11 लाख 11 हजार 111 रुपये नकद दहेज दूल्हे पक्ष को दिया जाना था। इस पर दूल्हे के पिता गुलाब सिंह तथा उनके स्वजनों ने दहेज को एक सामाजिक बुराई बताते हुए बड़ी ही विनम्रता के साथ यह दहेज लेने से इंकार कर दिया। इसे दुल्हन पक्ष को वापस लौटा दिया। साथ ही उन्होंने दहेज के रूप में मात्र एक नारियल और एक रुपया लेकर समाज के सामने एक अनूठी मिसाल पेश की। 

भात में दिए 5 लाख रुपये भी लौटाए

नैन परिवार ने दहेज ही नहीं भात में भी लाखों रुपये लेने से इंकार कर दिया था। मास्टर गुलाब सिंह की ससुराल फतेहाबाद जिले के गांव पालसर में है। ननिहाल पक्ष से लक्ष्मण सैनीवाल व उनके परिजनों ने भात में 5 लाख रुपये रखे। इस पर गुलाब सिंह ने ननिहाल पक्ष से हाथ जोडक़र विनम्र भाव से एक रुपये उठाकर बाकी 5 लाख की राशि ननिहाल पक्ष को वापस लौटा दी। इस पर लक्ष्मण सैनीवाल व स्वजनों ने नैन परिवार द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना की।