Gurugram News: गुरुग्राम के सेक्टर-109 स्थित चिंटल पैराडिसो सोसायटी के छह टावरों को एडिफिस कंपनी की ओर से तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसकी शुरुआत एच टावर से की गई है। इन टावरों को असुरक्षित घोषित किया गया था। बता दें कि ये काम सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। सबसे पहले मजदूरों द्वारा छत पर बने वाटर टैंक को तोड़ने का कार्य चल रहा है, जिसके बाद मशीनों का इस्तेमाल करके इन टावरों को पूरी तरह से गिरा दिया जाएगा। चिंटल इंडिया लिमिटेड ने दावा किया है कि अगले 6 महीनों में इन टावरों को मलबे में तब्दील कर दिया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, गुरुग्राम के चिंटल पैराडिसो सोसायटी में 9 टावर हैं, जिसमें में छह टावरों को आईआईटी दिल्ली ने असुरक्षित करार दिया था। इसमें टावर डी, ई, एफ, जी, एच और जे शामिल हैं। इन टावरों को तोड़ने की जिम्मेदारी एडिफिस कंपनी को सौंपी गई है। हालांकि टावर ए, बी और सी में अभी भी करीब 170 परिवार रह रहे हैं। कंपनी ने आज से अपना काम शुरू कर दिया है।
चिंटल इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जेएन यादव ने बताया कि अगले छह महीने में इन असुरक्षित टावरों को गिरा दिया जाएगा और फिर नए सिरे से सभी टावर के निर्माण किया जाएगा। इसके लिए नगर व ग्राम नियोजन विभाग से नक्शे मंजूर करवाए जाएंगे। बताया जा रहा है कि विशेषज्ञों की निगरानी में फ्लैट तैयार किए जाएंगे और उन पर फ्लैट मालिकों को कब्जा भी दे दिया जाएगा। अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि फ्लैट मालिकों को 15 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से किराया देने की व्यवस्था की गई है।
आरडब्ल्यूए ने सौंपा मांग पत्र
चिंटल पैराडिसो आरडब्ल्यूए की ओर से जिला उपायुक्त अजय कुमार को एक मांग पत्र सौंपा गया है। इस पत्र में आरडब्ल्यूए ने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। पत्र में बताया गया कि बिल्डर की ओर से एकतरफा समझौता किया जा रहा है और पुनर्निर्माण की बजाय दोबारा विकास के तहत समझौता किया जा रहा है। इसके अलावा आरडब्ल्यूए ने मांग करते हुए लिखा कि बाजार की कीमत पर ए, बी और सी टावर के फ्लैट मालिकों को मुआवजा दिया जाए।
बताया गया कि द्वारका एक्सप्रेसवे बनने के बाद से कीमतों में बढ़ोतरी हुए थी। इसके अलावा दूसरे विकल्प के तहत 18 प्रतिशत के हिसाब से फ्लैट मालिकों को राशि रिफंड करने, स्टांप ड्यूटी में खर्च राशि वापस करने और 10 लाख रुपये का मुआवजा दिलवाने की भी मांग की गई है। बता दें कि आरडब्ल्यूए ने छह पेज का पत्र सौंपा है। इसके बाद जिला उपायुक्त ने इस मामले में डीटीपीई को आदेश दिए हैं कि वे बिल्डर से इस मामले में जवाब तलब करें। बता दें कि आरडब्ल्यूए ने फ्लैट मालिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए यह कदम उठाए हैं।
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