सतेंद्र पंडित, जींद: प्रदेश की हॉट सीटों में शुमार उचाना विधानसभा सीट पर इस बार दो किसान मसीहाओं के वारिस राजनीतिक मंच पर आमने-सामने हैं। उचाना विस सीट पर राजनीतिक जंग पिछले डेढ़ दशक से जारी है। दीनबंधु सर छोटूराम के नाती बीरेंद्र सिंह व जननायक स्व. देवीलाल के राजनीतिक वारिस ओमप्रकाश चौटाला के बीच 2009 से चली राजनीतिक रस्साकशी व समय-समय पर एक दूसरे के ऊपर आक्रामक होना इस हॉट सीट की जंग को और रोचक बना रहा है।

चुनाव मैदान में बृजेंद्र सिंह व दुष्यंत चौटाला

उचाना विस की राजनीतिक जंग में इस बार भी न तो बीरेंद्र सिंह चुनाव मैदान में हैं और न ही इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला। उचाना विस से कांग्रेस की टिकट पर बीरेंद्र के बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह पहली बार विस चुनाव में उतरे हैं। वहीं उनकी सामने स्व. देवीलाल के पड़पौत्र जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला एक बार फिर से चुनाव मैदान में है। भाजपा ने यहां पर गैर जाट देवेंद्र अत्री को चुनाव मैदान में उतारा है। जो बड़ी चुनौती दोनों के लिए साबित हो रहे हैं। इसके अलावा निर्दलीय बीरेंद्र घोघड़िया, विकास समेत अन्य दोनों के समीकरण बिगाड़ रहे हैं।

उचाना से विधायक बनकर डिप्टी सीएम बने थे दुष्यंत

2019 में उचाना विस से विधायक बनकर गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम बनने वाले दुष्यंत चौटाला के इस बार मतदाताओं ने बुरी तरह पसीने छुड़ाए हुए हैं। उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बेटे के लिए उनकी माता नैना चौटाला भी पसीना बहा रही हैं। उचाना विस पर पहली बार कांग्रेस की टिकट पर किस्मत आजमा रहे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को अपनी पारिवारिक राजनीतिक विरासत के गढ़ उचाना सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ रहे हैं, जिसके लिए उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, उनकी माता पूर्व विधायका प्रेमलता सिंह पूरी ताकत झोंके हुए हैं।

1977 से बीरेंद्र सिंह उचाना से कर रहे राजनीति

1977 से उचाना विस के अस्तित्व में आने के साथ ही बीरेंद्र सिंह उचाना से राजनीति करते रहे हैं। 2009 में पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और बीरेंद्र सिंह के बीच टक्कर हुई, जिसमें ओमप्रकाश चौटाला ने बीरेंद्र सिंह को 621 मतों से मात दी थी। जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला को सजा होने के बाद वर्ष 2014 में उनके पौते दुष्यंत चौटाला इनेलो से उचाना विस से मैदान में उतरे। दुष्यंत की टक्कर में बीरेंद्र सिंह पत्नी प्रेमलता भाजपा प्रत्याशी के तौर पर उतरी। प्रेमलता ने दुष्यंत चौटाला को 7480 मतों से पराजित कर अपने पति बीरेंद्र सिंह की हार का बदला लिया।>

2019 में हारी थी प्रेमलता

2019 में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी का गठन कर लिया। विस चुनाव में दुष्यंत चौटाला का मुकाबला भाजपा से बीरेंद्र की पत्नी प्रेमलता से हुआ। दुष्यंत चौटाला भारी मतों से भाजपा की प्रेमलता को हरा कर भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाई और डिप्टी सीएम भी बने। राजनीतिक घरानों की जंग उचाना विस की गांव की गलियों से होकर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चल रही है। उस दौरान भाजपा केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके थे। उसके बेटे बृजेंद्र सिंह भाजपा की टिकट पर हिसार से सांसद बने थे, जिसके चलते दोनों तरफ से चलने वाले राजनीतिक बाणों पर सबकी नजर बनी रहती थी।

दोनों नेताओं के लिए परिस्थितियां बदली

विधानसभा चुनाव 2024 के लिए बृजेंद्र तथा दुष्यंत चौटाला के बीच इस बार परिस्थितियां काफी हटके और बदलाव वाली हो चुकी हैं। बीरेंद्र सिंह परिवार भाजपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल हो चुका है। जजपा का भाजपा के साथ गठबंधन टूट चूका है। बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र कांग्रेस की टिकट पर तो उनके सामने जजपा के दुष्यंत चौटाला हैं। किसान आंदोलन के दौरान से भाजपा के प्रति बृजेंद्र सिंह नाराज है। बृजेंद्र सिंह तथा दुष्यंत चौटाला उस दौरान भाजपा सरकार का हिस्सा थे। उचाना के लोग दुष्यंत चौटाला को हाशिये पर ले गए तो बृजेंद्र सिंह के खिलाफ कांग्रेस का बड़ा धड़ा खिलाफ हो गया, जो टिकट न मिलने पर अब ताल ठोक रहे हैं।

निर्दलीय ने उड़ाई दोनों की नींद

उचाना विस के लोग दुष्यंत की चाबी को भूल गए और बृजेंद्र के हाथ का साथ देने को भी तैयार नहीं हैं। भाजपा ने देवेंद्र अत्री को मैदान में उतारकर, कांग्रेस से बागी होकर चुनाव में ताल ठोकने वाले बीरेंद्र घोघड़िया तथा विकास ने उचाना विस के चुनाव को रोचक बना दिया है। भाजपा के देवेंद्र अत्री गैर जाट वोट बैंक के साथ अपने भाग्य को आजमा रहे हैं। निर्दलीय बीरेंद्र घोघड़िया, विकास तथा अन्य वंशवादी राजनीति के खिलाफ मोर्चा खोल कर चुनावी ताल ठोक रहे हैं। हालांकि अभी तक चुनाव पूरी तरह रंगत में नहीं आया, लेकिन जो हालात यहां पर बन रहे है। इतना तय है कि यहा पर बड़ा उलट फेर हो सकता है।

मूलभूत सुविधाओं से वंचित है उचाना

राजनीतिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण क्षेत्र उचाना विधानसभा में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। राजनीतिक लोग भले ही कुछ भी वादे और दावे करते हों, लेकिन लोगों के बीच पीने का पानी, सीवर और सड़क, शिक्षा के अच्छे साधन, चिकित्सा के लिए पर्याप्त सुविधा मुख्य मुद्दा बना हुआ है। लोगों का यह मानना है कि अगर यहां के राजनीतिक लोग क्षेत्र के विकास की तरफ ध्यान देते तो क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस नहीं रहा होता। यहां पर रोजगार का भी काफी संकट है। यहां के लोग शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार और पानी को मुख्य मुद्दा मान रहे हैं।