ऐतिहासिक अष्टकोसी तीर्थ यात्रा फिर शुरू : कुरुक्षेत्र के बाहरी गांव में नाभिकमल मंदिर में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, परमहंस ज्ञानेश्वर महाराज, महंत राम अवतार, महंत विशालदास सहित अन्य संतजनों ने अष्टकोसी तीर्थ यात्रा का शुभारंभ किया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्व प्रसिद्ध धर्मक्षेत्र है। इस कुरुक्षेत्र धाम के चप्पे-चप्पे पर ऐतिहासिक और पौराणिक तीर्थ विराजमान हैं। इस पावन धरा के कण-कण में पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेश सम्माहित हैं। इसलिए कुरुक्षेत्र तीर्थों की अष्टकोसी यात्रा एक पवित्र और ऐतिहासिक यात्रा मानी जाती है। इस अष्टकोसी तीर्थ यात्रा का वर्णन पवित्र ग्रंथ गीता के 11वें अध्याय में भी किया गया है। अब अष्टकोसी यात्रा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड व हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की जा रही है।
इन तीर्थ स्थलों से होकर गुजरी यात्रा, जगह-जगह स्वागत
केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल ने कहा कि चैत्र चौदस के दौरान अष्टकोसी यात्रा की जाती रही है। इस यात्रा को हर माह किया जाना चाहिए और उनका मानना है कि निरंतर इस यात्रा को जारी रखा जाएगा। यह यात्रा नाभिकमल तीर्थ से शुरू हुई और औजस घाट कार्तिक मंदिर, स्थाण्वीश्वर महादेव, कुबेर तीर्थ, क्षीर सागर तीर्थ, दधीचि कुंड, खेड़ी मारकंडा, वृद्धा कन्या, रत्नुक यक्ष-बीड़ पिपली, पावन तीर्थ-सुंदरपुर, ओघटिया घाट पलवल, बाण गंगा दयालपुर, आपगा तीर्थ दयालपुर, भीष्म कुंड नरकतारी से होकर नाभिकमल तीर्थ पर सम्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि परिक्रमा मार्ग के तीर्थों पर अल्पाहर, प्रसाद, प्राथमिक चिकित्सा एवं विश्राम की सुविधा भी उपलब्ध रही। इस यात्रा में अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल और यमुनानगर के 200 से ज्यादा श्रद्धालु शामिल रहे। निदेशक डा. प्रीतम सिंह ने कहा कि बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार एक पूरा मार्ग तैयार किया गया है, जिससे भक्तों को विभिन्न तीर्थों (तीर्थ स्थलों) के इतिहास और महत्व का पता लगाने में मदद मिलेगी। कुरुक्षेत्र शहर में लगभग 30 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली 8 कोस यात्रा, 48 कोसी यात्रा की पूर्वपीठिका होगी, जो अंतत: कुरुकषेत्र, करनाल, कैथल, पानीपत और जींद जिलों के तीर्थ स्थलों तक विस्तारित होगी। इस मौके पर मुख्यमंत्री के कार्यालय प्रभारी कैलाश सैनी, केडीबी के सीईओ पंकज सेतिया, भाजपा के जिला अध्यक्ष तजेन्द्र सिंह गोल्डी, एसई अरविंद कौशिक, केडीबी सदस्य अशोक रोसा, डा.ऋषिपाल मथाना, डा.एमके मोदगिल, राजेश कुमार, विजय नरूला आदि उपस्थित थे।
इस्कॉन व जीयो गीता परिवार ने भजनों से बांधा समा
इस यात्रा में इस्कॉन व जीयो गीता की तरफ से भक्तजनों ने भजन कीर्तन किए और भजन कीर्तन कर पूरी यात्रा को भक्तिरस में भर दिया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से कुरुक्षेत्र की पौराणिक अष्टकोसी यात्रा को शुरू करवाकर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों को एक अनोखी सौगात देने का काम किया है। इस अष्टकोसी यात्रा को बेहद पवित्र यात्रा माना जाता है और यह यात्रा कुरुक्षेत्र की पावन धरा से बहने वाली पवित्र सरस्वती नदी के किनारे से होकर गुजरती है। इस नदी के किनारे ही पुराणों, वेदों की रचना की गई और पूरे विश्व को ज्ञान, शिक्षा और संस्कार दिए गए। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि पवित्र सरस्वती नदी के किनारे सदियों से अष्टकोसी यात्रा की जाती थी। लेकिन समय के चलते यह यात्रा बंद हो गई। अब बोर्ड और केडीबी के प्रयासों से यात्रा फिर से शुरू की गई है। इस यात्रा के दौरान ऐतिहासिक और पौराणिक तीर्थ स्थलों के दर्शन होते हैं।
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