महेंद्रगढ़: नांगल कालिया गांव में करीब 10 जर्जर हवेलियां हैं, जिनकी दीवारों व नींव से पत्थर निकलने आरंभ हो गए हैं। मुख्य रास्तों के दोनों तरफ कंडम दीवार खड़ी होने के कारण ग्रामीणों को जानलेवा हादसों की आशंका बढ़ गई है। समस्या से विभागीय अधिकारी व पंचायत अवगत है। इसके बावजूद सुरक्षा के प्रबंध अटके हुए हैं। जिसके कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है।
गांव के बीच जर्जर हुई हवेलियां
नांगल कालिया के ग्रामीणों ने बताया कि गांव के बीच व मुख्य मार्गों पर आठ से दस हवेलियां हैं। जिनके मालिक कई दशकों से गांव में नहीं रहते। कई ग्रामीणों ने पुराने मकानों को छोड़कर गांव के बाहर कुओं में आवास बना लिए। बीते कई सालों से पुराने मकानों को रिपेयर नहीं किया गया, जिस कारण लगभग हवेली जर्जर हो चुकी हैं। हवेलियों की छत टूट चुकी तथा दीवारों के पत्थर गिरने आरंभ हो गए हैं। कई दीवारों की नींव भी भुरभुरानी आरंभ हो गई, जो तेज हवा चलने पर हिलने लगती है। कुछ मुख्य मार्गों पर ऊंची दीवारें खड़ी हैं, जिनके पास से गुजरना खतरे से खाली नहीं है।
इन गांवों में भी जर्जर हवेलियां
नांगल कालिया के अलावा गांव दत्ताल, ढाणी जाजमा, शहबाजपुर, भुंगारका, धौलेड़ा में दर्जनों जर्जर हवेलियां हैं। जिनके पास रहना या गुजरना जानलेवा साबित हो सकता है। शिकायत मिलने पर 2012 में तत्कालीन उपायुक्त के निर्देशों पर शहर के एक कंडम मकान को सुरक्षित कराया था, लेकिन गांवों में अभी तक खंडहर मकानों की भयावह स्थिति बनी हुई है। ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त से गांव वाइज कंडम मकानों की शिनाख्त करवाकर उन्हें सुरक्षित कराने की गुहार लगाई है।
क्या कहते है पंचायत अधिकारी
इस संदर्भ में पंचायत अधिकारी महेश कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक गांव में जर्जर हवेलियों को सुरक्षित कराने संबंधी कोई पत्र नहीं मिला। पंचायत स्तर पर कंडम मकानों को गिराया जा सकता है। इसके लिए पंचायत को संबंधित हवेली मालिक को नोटिस दिया जा सकता है। मकान गिराने का खर्चा मकान मालिक को ही वहन करना पड़ेगा।