योगेंद्र शर्मा, Haryana: एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी ) भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहिम को आने वाले दिनों में गति देने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि एसीबी के स्केनर पर दर्जनों अफसर आ चुके हैं, साथ ही उनके विरुद्ध ठोस साक्ष्य औऱ तथ्य जुटाए जा रहे हैं। कई आईएएस, एचसीएस और पुलिस कर्मियों पर शिकंजा कस चुकी एसीबी ने एक अन्य आईएएस अफसर बांगड़ के विरुद्ध जांच के लिए परमिशन मांगी है। दूसरी ओर, जिन अफसरों पर एसीबी ने शिकंजा कसा है, उनमें से दो अफसरों ने राज्य सरकार को अपने प्रतिवेदन देकर उन पर चल रही कार्रवाई को नियमों के विरुद्ध बताते हुए सवाल खड़े कर दिए हैं।
आईएएस डॉ. डी सुरेश ने एसीबी पर खड़े किए सवाल
हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस डॉ. डी सुरेश ने एसीबी पर सवाल खड़े करते हुए एक पत्र राज्य सरकार को लिखकर कहा कि ब्यूरो के अफसरों को नियमों की जानकारी नहीं है। बिना अनुमति के ही उनके विरुद्ध तीन अवैध जांच की गई। पत्र में उन्होंने इसे फाइल करने की मांग करते हुए कहा कि उनके व उनके सहयोगियों के विरुद्ध केस दर्ज करने की सिफारिश करना गलत है, जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17 ए के तहत उनके विरुद्ध अनुमति मांगी है। डी सुऱेश ने सीएम, मुख्य सचिव हरियाणा सरकार, एसीएस होम को भी कापी भेजी है। एचएसवीपी के एक मामले को बिना वजह तूल दिया जा रहा है। एसीबी अधिकारियों को पहले हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से पूरे मामले में जानकारी लेनी चाहिए थी। अब देखना होगा कि सरकार इस पत्र पर क्या एक्शन लेती है?
एचएसआईआईडीसी के प्लाटों को लेकर भी बवाल
एचएसआईआईडीसी में बतौर एमडी तैनात रहे बांगड़ के विरुद्ध जांच के लिए सरकार से लिखित में भेजकर अनुमति मांगी गई है। आरोप है कि उक्त अधिकारी ने हरियाणा राज्य औद्योगिक आधारभूत विकास निगम ने बतौर एमडी रहते हुए पानीपत में तीन लोगों को सस्ती दरों पर प्लाट अलाट कर डाले। एसीबी का तर्क है कि अगर इनकी नीलामी हो जाती, तो सरकार को वित्तीय फायदा मिलता। पूरे मामले में पीसी एक्ट 17-ए के तहत अनुमति की मांग की है। पूरी रिपोर्ट सरकार को भेजकर एसीबी ने 60 हजार प्रति वर्ग मीटर वाली जमीन को 20 हजार प्रतिवर्ग मीटर रेट पर बेच दिए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं। एसीबी पूरे मामले में खुली जांच की मांग कर रही है।
विजय दहिया ने भी एसीबी की कार्रवाई को लेकर दिया प्रतिवेदन
हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा 50 लाख के बिल पास कराने के नाम पर महिला के माध्यम से रिश्वत लेने के आरोपों के बाद में एसीबी द्वारा दहिया पर शिकंजा कसा था। ब्यूरो ने व्हाट्सएप चैट और कई साक्ष्य जुटाने के बाद गिरफ्तार कर लिया था। अब दहिया ने राज्य सरकार मुख्य सचिव के माध्यम से प्रतिवेदन देते हुए एसीबी की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं, साथ ही उन पर जिन नियमों के तहत कार्रवाई हो रही है, उसको गलत बताया है। कुल मिलाकर अभी उनके प्रतिवेदन पर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन विचार चल रहा है। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में दहिया की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के मामले में छह माह तक जांच पड़ताल के बाद में की गई थी। बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भी भेज दिया गया था। उनके अलावा एक दिल्ली की महिला पूनम चोपड़ा को भी गिरफ्तार किया था।
दर्जनों अफसरों पर इसी तरह के गड़बड़झाले में शिकंजा कसने की तैयारी
बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल द्वारा एसीबी के अफसरों को फ्री हैंड दिया गया था, साथ ही साफ कर दिया कि भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त किसी भी अफसर को बख्शा नहीं जाएगा। उसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए एसीबी द्वारा काफी बड़ी संख्या में इस तरह के अफसरों पर शिकंजे के लिए मसाला तैयार कर लिया है, जिसके कारण कुछ को भनक लगी और उनकी नींद हराम होने लगी है।