Anil Vij On Haryana Political Crisis: हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से सियासी उथल पुथल देखने को मिल रही है। बीजेपी से तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने समर्थन वाला ले लिया है। इसके बाद सीएम नायब सैनी की सरकार अल्पमत में आ गई है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल नायब सैनी को सीएम पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं। इस बीच भाजपा नेता व प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज का बयान सामने आया है। विज ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने पर दुख जताया है। इसके साथ ही उन्होंने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा पर तंज भी कसा है।
'हुड्डा साहब की ख्वाहिश कभी नहीं होगी पूरी'
अनिल विज ने आज बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि तीन विधायकों का बीजेपी से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन देने का मुझे दुख हैं। लेकिन हुड्डा साहब की ख्वाहिश कभी पूरा नहीं हो सकती। अभी हमारे तरकश में कई तीर हैं। हमारी ट्रिपल इंजन की सरकार है। तीन इंजन इसकी देखभाल कर रहे हैं। सीएम नायब सिंह सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और पीएम नरेंद्र मोदी पल-पल की जानकारी रखते हैं और उसका इलाज भी जानते हैं।
इंडिया गठबंधन पर कसा तंज
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लोकसभा का चुनाव चल रहा है जनता ने मन बना रखा है कि नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाना है। क्योंकि भारत के सपनों को पूरा करने का रोड मैप सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी के पास है, किसी और के पास नहीं है। विज ने इंडिया गठबंधन पर तंज कसते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन की गाड़ी बिना इंजन की है। यह गाड़ी जहां से शुरु हुई थी वहीं की वहीं खड़ी है आगे नहीं बढ़ पाई। भाजपा की गाड़ी आगे बढ़ रही है।
इन विधायकों ने समर्थन लिया वापस
बता दें कि मंगलवार (7 मई) को तीन निर्दलीय विधायक चरखी दादरी से सोमबीर सांगवान, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और पुंडली से रणधीर गोलन ने हरियाणा की बीजेपी सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी। अब विपक्ष का कहना है कि सीएम नायब सैनी की सरकार अल्पमत में आ गई उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।
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बताते चलें कि हरियाणा विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 90 है, वर्तमान में विधायकों की संख्या 88 है। लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पूर्व सीएम मनोहर लाल ने करनाल और निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला ने रानियां सीट से इस्तीफा दिया है। जिससे ये दोनों सीट अभी खाली हैं। ऐसे में अब सीएम नायब सैनी की सरकार अल्पमत में आ गई है, क्योंकि 88 में से भाजपा के पास 43 विधायकों का समर्थन बचा है। बहुमत के लिए 45 विधायक चाहिए। वहीं अब विपक्ष में 45 विधायक हो गए हैं।