बहादुरगढ़: गत वर्ष 15 दिसंबर को हुए बार एसोसिएशन चुनाव के दौरान सचिव पद के नामांकन को लेकर शुरू हुए विवाद का करीब साढ़े 10 महीने बाद पटाक्षेप हुआ। बार काउंसिल ऑफ पंजाब एवं हरियाणा के साथ ही हाईकोर्ट ने भी अधिवक्ता राजदीप छिल्लर के नामांकन को अयोग्य ठहरा दिया। बता दें कि बहादुरगढ़ में बार एसोसिएशन के पिछले साल हुए चुनाव में सचिव पद के लिए मनोज राठी व राजदीप छिल्लर ने नामांकन भरे थे। लेकिन अधिवक्ता मनोज राठी ने दो बार सचिव रह चुके राजदीप छिल्लर के नामांकन को संविधान का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी थी।
निर्वाचन अधिकारी ने खारिज की थी शिकायत
सचिव पद के दावेदार मनोज राठी की शिकायत को चुनाव के दौरान निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र लोहचब ने खारिज कर दिया था। इसके विरोध में मनोज ने बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा से गुहार लगाई थी। आरओ सुरेंद्र लोहचब ने बार काउंसिल को भेजी रिपोर्ट में बताया कि 10 फरवरी 2016 को तत्कालीन प्रधान बिजेंद्र राठी की अध्यक्षता में हुई बार एसोसिएशन की सामान्य बैठक में संविधान की धारा 9 के अनुछेद 4 को निरस्त कर दिया गया था। मनोज राठी को बार काउंसिल से 12 दिसंबर को राहत नहीं मिली और इस बीच 15 दिसंबर को कुल 715 सदस्यों में से 674 अधिवक्ताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था।
हारने के बाद मनोज ने हाईकोर्ट में लगाई थी याचिका
सचिव पद के लिए मनोज राठी से 102 वोट अधिक लेकर राजदीप छिल्लर चुनाव जीत गए थे। मनोज राठी ने राजदीप छिल्लर के नामांकन को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट की डबल बैंच ने 2 सितंबर 2024 को पाया कि राजदीप चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं थे। क्योंकि वो पहले ही दो बार सचिव निर्वाचित हो चुके थे। बार काउंसिल को भी 12 दिसंबर 2023 के आदेश पर पुनर्विचार करने को कहा। बार काउंसिल ने भी 18 सितंबर 2024 को राजदीप छिल्लर के नामाकंन को अयोग्य ठहरा दिया। इसके उपरांत हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर को जारी आदेश में राजदीप छिल्लर को सचिव निर्वाचित करने वाले चुनाव परिणाम को रद्द कर दिया।