भारतीय पहलवान और कांग्रेस नेता बजरंग पुनिया का एक ट्वीट काफी वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने बताया कि एक झटके में उनका जीवन कैसे बदल गया। इस ट्वीट से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बजरंग को किसी बात ने काफी परेशान किया है और उन्होंने मन को बात को बाहर निकालने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। 

दरअसल, बजरंग पुनिया ने 22 अक्टूबर की रात अपने एक्स अकाउंट पर एक ट्वीट किया है। जिसमें उन्होंने लिखा कि मेरे जीवन में सब कुछ सही चल रहा था। मैं खेल में पदक जीत रहा था। सरकार से इनाम मिल रहा था। मंत्री और संतरियों से खूब शाबाशी मिल रही थी। फिर मेरे घर पर कुछ जूनियर महिला पहलवान आईं और औपचारिक राम-रमी के बाद सबकी आंखों में आंसू थे। मैंने उनकी बात सुनी तो फिर जीवन का ऐसा सफर शुरू हुआ। जिसके बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था। उनके संघर्ष में शामिल होने से खेल चला गया... करियर चला गया और मंत्री संतरियों की राम-रमी भी चली गी। लेकिन, एक चीज की संतुष्टि है कि अब महिला खिलाड़ियों ने अपना मैदान जीत लिया है। यह जीत मेरे ओलंपिक मेडल से भी बड़ी जीत है। 

बजरंग पुनिया ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि सरकार ने जो इनाम दिया था वह मैं पीएम आवास के सामने रख आया था। इस जीवन में अग्निवीर आंदोलन और किसान आंदोलन ने भी बहुत कुछ बदला है। इन दोनों आंदोलनों ने याद दिलाया कि ओलंपिक मेडल जीतने से पहले मेरी लाइफ क्या थी। हालांकि, मेडल से मेरा जीवन तो बदला होगा... पर मेरे लोगों का नहीं....। उन्होंने आगे लिखा कि मेडल की तरफ देखता हूं.. तो मुझे बचपन का सपना याद आता है और अब आगे के सफर की ओर देखता हूं तो बचपन की हकीकत याद आती है। इन्हीं उलझनों के बीच जो कुछ होता है उसी को ही जीवन कहते हैं।

साक्षी मलिक के दावों के बीच बजरंग पुनिया का ट्वीट 

बता दें कि भारतीय पहलवान साक्षी मलिक ने अपनी किताब 'विटनेस' में पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और बबीता फोगाट को लेकर कई दावे किए है। साक्षी ने अपनी किताब में दावा किया है कि विनेश और बजरंग के फैसले की वजह से उनका आंदोलन 'स्वार्थपूर्ण' लगने लगा था। वहीं साक्षी मल‍िक यहीं नहीं रुकी थी और उन्होंने ये भी कहा था कि बबीता फोगाट ने ही कुश्ती संघ का अध्यक्ष बनने के लिए पहलवानों को उकसाया था। ऐसा इसलिए था क्योंकि बबीता बृजभूषण शरण सिंह की जगह लेना चाहती थी। बता दें कि साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में ब्रॉन्ज जीता था। वह भी पहलवानों के लिए आंदोलन कर रही थी।