योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: हरियाणा की धरती पर हैट्रिक बनाकर इतिहास रचने वाली भाजपा के सियासी दिग्गज अब हरियाणा के फार्मूले पर चलकर दूसरे प्रदेशों में फ़तेह पाने की तैयारी में हैं। हरियाणा के फार्मूले को दूसरे प्रदेशों में भी गंभीरता से लागू किया जाएगा। संघ और संगठन के छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं को साथ लेकर बाकी प्रदेशों में फतेह पाने का मंत्र सियासी दिग्गज देने में जुटे हुए हैं। भाजपा हाईकमान को उम्मीद है कि महाराष्ट्र में मराठों और मुसलमानों पर महा विकास अघाड़ी के फोकस का मुकाबला करने के लिए ओबीसी और एससी/एसटी समुदायों को एकजुट कर ही किया जा सकेगा।
मातंग जाति समूहों से साध रहे संपर्क
भाजपा ने हरियाणा में ओबीसी, एसी, एसटी सभी वर्गों को एक मंच पर लाने का काम किया। अगर कांग्रेस का महार समुदाय में बड़ा समर्थन आधार है, तो आरएसएस ने मातंग जाति समूहों के साथ संपर्क साधने की मुहिम चला दी है। शिंदे सरकार की तरफ से अनुसूचित जाति कोटे के भीतर कोटे पर चर्चा करने के लिए समिति नियुक्त करने का कदम आरएसएस के दबाव के बाद ही उठाया गया है। माना जा रहा है कि अनुसूचित जाति समुदायों के उप-वर्गीकरण पर निर्णय ने हरियाणा में भाजपा की भी मदद की है।
हरियाणा की हैट्रिक से भाजपाइयों के हौसले बुलंद
हरियाणा चुनाव से पहले भाजपा को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल चुकी है, इतना ही नहीं हौसले बुलंद हैं। हरियाणा चुनाव में उम्मीद के विपरीत भाजपा की हैट्रिक के साथ भाजपा के कई फार्मूलों के हिट होने का फैक्टर साफ दिखाई दिया है, जिसके बाद खुलकर पुष्टि भी हो गई है। संघ और भाजपा की दूरियां मिटने को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए बढ़त माना जा रहा है। हरियाणा में भाजपा की ऐतिहासिक जीत ने आरएसएस के साथ उसके रिश्तों में मामूली दूरी को पाटने का काम कर दिया है। हरियाणा में भाजपा की हैट्रिक में संघ परिवार के जमीनी प्रयासों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
संघ और संगठन को साथ लेकर फतेह का मंत्र
याद दिला दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयं सेवकों की मेहनत और साथ में जोड़कर चलने का फायदा हरियाणा में भाजपा की हैट्रिक को लेकर बड़ा कारण रहा है। राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले हाल में मथुरा में अपने भाषण में कई अहम बातों पर रोशनी डालते हुए उन्होंने बिना नाम लिए भाजपा के कई नेताओं को नसीहत भी दे डाली है। भाजपा को किसी की जरूरत नहीं, वाले बयानों को लेकर उन्होंने कहा कि संघ भाजपा नेताओं के इरादों को समझता है। लेकिन स्वयं सेवकों और संगठन के छोटे से छोटे कार्यकर्ता के बिना हैट्रिक कहां संभव है।
चुनावी राज्यों में जगह बनाने की मुहिम
चुनावी राज्य झारखंड में आदिवासियों के बीच आरएसएस का आधार मजबूत है। संघ ने आदिवासी बहुल इलाकों में अपने स्वयंसेवकों को छोटी-छोटी इकाइयों में संगठित करने का काम किया है। कोशिश है कि लोकसभा चुनावों से स्थिति को बदला जाए। लोकसभा चुनाव में बीजेपी झारखंड में आदिवासी बहुल सभी 5 सीटों पर हार गई थी। आने वाले वक्त के लिए भाजपा और संघ संयुक्त रणनीति के तहत जीत सुनिश्चित करने में अभी से जुट गए हैं।