Chandigarh: योगेंद्र शर्मा। हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में देरी के कारण पेश नहीं पाए दो प्रस्तावित बिलों को अमली जामा पहनाने के लिए हरियाणा सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। जिसे लेकर 3 जनवरी को होने वाली केबिनेट बैठक में
ऑर्डिनेंस लाने पर विचार कर रही है। यहां पर बता दें कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस बार राज्य की मनोहरलाल सरकार की ओऱ से हरियाणा मृत शरीर सम्मान विधेयक 2023 और (सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स) कोटपा संशोधन
विधेयक 2023 लाया जाना प्रस्तावित था। इनके ड्राफ्ट और अंतिम रूप देकर लाने की तैयारी थी लेकिन विधानसभा भेजने में देरी हुई और विस प्रबंध प्रशासन की ओर से इन्हें स्वीकार नहीं किया गया था। इन बिलों के प्रस्ताव को लेकर विपक्ष की ओऱ से एन वक्त पर लाए जाने को लेकर कईं बार शोरगुल व आपत्ति की जाचुकी थी।जिसके बाद में चार से पांच दिनों का वक्त इनको लेकर दिया गया था। अब इन्हें मंत्रीमंडल की बैठक में पास किया जाएगा।
देरी के कारण नहीं हो सके थे पेश
देरी से आने के कारण विधानसभा में विधेयक गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के विभाग से संबंधित हैं। अनिल विज ने विभाग के अफसरों को कैबिनेट बैठक में रखने के आदेश दिए हैं। नियमानुसार कैबिनेट से पास होने के बाद विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। जहां उनकी स्वीकृति के बाद वह 6 माह के लिए आर्डिनेंस के रूप में पास हो जाएगा और आर्डिनेंस को फिर फरवरी में होने बजट सत्र में पेश किया जाएगा।
ऑर्डिनेंस आने के बाद सड़क पर शव रखना होगा अपराध
हरियाणा में सडक़ पर शव रखकर जाम करने के मामलों को रोकने के लिए गृह विभाग ने हरियाणा मृत शरीर के सम्मान विधेयक 2023 तैयार किया था। उक्त विधेयक को शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना था, लेकिन आखिरी समय में विधेयक को विधानसभा में भेजने पर स्पीकर ने उसे वापस लौटा दिया था। लिहाजा उसे आर्डिनेंस के तौर पर लाया जा रहा है। विधेयक में राजस्थान की तर्ज पर हरियाणा में सडक़ पर शव
रखकर जाम लगाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गृह विभाग की ओर से तैयार किए गए विधेयक को प्रदेश में सडक़ जाम की बढ़ रही घटनाओं को रोकना बताया गया है। इससे लागू होने से सार्वजनिक जगहों पर शव के साथ प्रदर्शन करने पर अंकुश लगेगा क्योंकि इसमें सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान तय किया जाएगा।
नेताओं के लिए भी सजा व जुर्माने का प्रावधान
हालांकि नेशनल हाइवे जाम करने के खिलाफ पहले ही सुप्रीमकोर्ट की गाइड लाइन जारी की गई हैं, जिसमें पुलिस मुकदमा दर्ज करती है। लेकिन शव रखकर जाम लगाने के अधिकांश मामलों में पुलिस असहाय नजर आती है। उक्त कानून के तहत शव रखकर सडक़ जाम करने पर 2 वर्ष की सजा का प्रावधान रखा गया है। इतना ही नहीं शव के साथ धरना-प्रदर्शन में शामिल होकर उकसाने वाले राजनेताओं के खिलाफ 5 वर्ष की सजा तय की है। विधेयक के प्रभावी होने के बाद विरोध-प्रदर्शन की स्थिति में शव के अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। विधेयक में डीएसपी और एसएचओ. को अधिकार दिए जाएंगे कि वह अपने स्तर पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में समय से शव का अंतिम संंस्कार करवाएंगे।