योगेंद्र शर्मा, हरियाणा: हरियाणा द्वारा राजस्थान को बरसात के दिनों में अतिरिक्त पानी दिए जाने के एमओयू को हरियाणा के विपक्ष ने मुद्दा बना लिया है। हालांकि मुख्यमंत्री द्वारा इस मामले में सदन में ही विस्तार से हालात स्पष्ट कर दिए और साफ कर दिया कि किसी भी सूरत में यह एमओयू रद्द नहीं होगा। सीएम ने साफ कर दिया कि देश एक है, हम पंजाब की तरह कोई काम नहीं करेंगे, जिन्होंने एसवाईएल को पाट दिया और पंजाब में बाढ़ आने के वक्त हरियाणा को पानी देने की बात करते हैं। मुख्यमंत्री का तर्क है कि बरसात औऱ बाढ़ के दिनों में अगर एसवाईएल को पंजाब की ओर से मिट्टी से नहीं भरा जाता, तो कम से कम बाढ़ बचाव व बरसाती पानी की निकासी का एक रास्ता तो बचा ही रहता।

बरसात के मौसम में पानी देने का हुआ एमओयू

हरियाणा द्वारा राजस्थान को बरसाती पानी दिए जाने को लेकर हुए एमओयू पर विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस, इनेलो व आप द्वारा सियासत किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि बरसात के सीजन में यमुना नदी में 24 हजार क्यूसेक से अधिक पानी की मात्रा  हो जाती है। इस पानी को जहां जहां पर पानी की किल्लत है, पानी के संकट से जूझ रहे  इलाकों में ले जाया जाएगा। हरियाणा के तीनों जिलों में पानी पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछाई जाएगी। इसके साथ ही राजस्थान में पानी ले जाने के लिए पाइप लाइन राजस्थान सरकार की ओऱ से बिछाई जाएगी। इससे जहां राजस्थान को पीने के लिए पानी मिलेगा, साथ ही हरियाणा के अन्य जिलों में बाढ़ की संभावना कम होगी और तीन जिलों को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा।

समझौता नहीं किया जाएगा रद्द

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राजस्थान के साथ हुआ समझौता रद्द नहीं होगा। यमुना नदी में 18 हजार क्यूसेक पानी आता है। इसके अलावा 6 हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी का प्रावधान किया है। अगर यमुना नदी में 24 हजार क्यूसेक से अधिक पानी होता है तो राजस्थान को दिया जाएगा। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत की अध्यक्षता में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल के बीच समझौता हुआ था। हथिनी कुंड बैराज पर पानी रोकने की क्षमता से अधिक पानी को राजस्थान को दिया जाएगा।

एसवाईएल, 100 करोड़ का बजट

सीएम मनोहर लाल ने कहा कि बजट में इस बार भी हर बार की तरह एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए 100 करोड़ का बजट रखा है। लगातार 100 करोड़ की ही राशि हर साल रखी जाती रही है। रावी-ब्यास नदी के पानी में हरियाणा के हिस्से का उपयोग करने के लिए सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी हरियाणा के हक में फैसला दे चुका है।