नरेन्द्र वत्स, Rewari: शहर की सरकार ने अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया, लेकिन इन दौरान नगर परिषद भ्रष्टाचार के मामले में लगातार बदनाम रहा। नगर परिषद के तीन अधिकारी भ्रष्टाचार निरोधक कानून की चपेट में आ चुके हैं। खुद को पाक-साफ बताने वाली नगर परिषद की चेयरमैन पूनम यादव भी अब भ्रष्टाचार के आरोपों से नहीं बच पा रही ।  चुनाव करीब आते ही चेयरमैन और उनकी टीम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए विपक्ष हमलावर होने लगा है, तो भाजपा में ही एक खेमा चेयरमैन को क्लीनचिट देने का प्रयास कर रहा है। शहर की बदहाली नगर परिषद के असली विकास की तस्वीर पेश करने के लिए काफी है। शहर के लोग बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाड़ी मस्त होकर माल डकार रहे हैं।

स्ट्रीट लाइट से लेकर ट्रैफिक लाइट तक हालत खराब 

शहर के हालात ऐसे हैं कि कोई कोना ऐसा नहीं है, जहां समस्याओं की भरमार नहीं हो। स्ट्रीट लाइट से लेकर ट्रैफिक लाइट की व्यवस्था तीन साल तक दुरुस्त नहीं हो सकी। पार्कों से लेकर सड़कों का हाल बेहाल बना हुआ है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि सड़क निर्माण के साथ ही रोड़ियां बिखरती नजर आने लगती हैं। शहर की सफाई व्यवस्था तार-तार हो चुकी है, जिसका परिणाम 258वां रैंक आने से सामने आ चुका है। सीवर व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई नजर आती है। शहर के गली-मोहल्ले में गंदगी के अंबार स्वच्छ भारत मिशन को आइना दिखा रहे हैं। 

सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु, नहीं मिल रहा छुटकारा 

प्रशासन की तरफ से हर माह बेसहारा पशुओं को शहर से बाहर छोड़ने के नाम पर पैसे जारी होते हैं, परंतु उतने ही पशु छोड़े जाने के बाद भी सड़कों पर घूमते नजर आते हैं। यह पशु कई बार लोगों पर हमला कर उन्हें अस्पताल पहुंचा चुके हैं। शहर में कोई चौक ऐसा नहीं है, जिस पर सौंदर्यकरण का कोई असर नजर आ रहा हो। नक्शे को ताक पर रखकर कई बहुमंजिला इमारतों का निर्माण हो चुका है। उन्हें नोटिस दिए जाने के बाद कार्रवाई के नाम सिर्फ सेटिंग होती है। इस समय भी कई बिल्डिंग नियमों को ताक पर रखकर तैयार की जा रही हैं, लेकिन नप के कुछ अधिकारियों को अपनी पुडि़या बनाने से फुर्सत नहीं है। 

भ्रष्टाचार निरोधक कानून के लपेटे में तीन 

2022 के दौरान नगर परिषद कार्यालय पर एंटी करप्शन ब्यूरो की खास नजर रही। इस साल 31 अगस्त को नप के ईओ अभयसिंह भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी की टीम के हत्थे चढ़ गए। अक्टूबर माह में अंबाला में भ्रष्टाचार के मामले में फंसे ईओ केके यादव की गिरफ्तारी हो गई। इसी साल नवंबर माह में एमई सोहनलाल और उसके पिता भी एंटी करप्शन ब्यूरो के हत्थे चढ़ गए। इस साल अधिकारियों के तबादलों का सिलसिला भी तेजी से चला। भ्रष्टाचार पर इसके बाद भी अंकुश नहीं लग सका। 

विधायक चिरंजीव राव ने खोला मोर्चा 

कांग्रेसी विधायक चिरंजीव राव ने नगर परिषद में भ्रष्टाचार के आरोपों के लिए चेयरमैन पूनम यादव को जिम्मेदार ठहराया। शहर के 15 पार्षदों के साथ चिरंजीव राव ने खुलकर आरोप लगाते हुए इस मामले में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को लपेटे में लिया। एक बार ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में राज्य मंत्री ओपी यादव ने सीधे तौर पर चेयरमैन पूनम यादव पर भ्रष्टाचार को लेकर हमला बोल दिया था, इसके बाद उन्हें ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंगों में भाग लेने का मौका नहीं मिला। 

राव समर्थक बॉबी भी लगा चुके आरोप 

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खास समर्थक माने जाने वाले राजा राव इंद्रजीत विचार मंच के संयोजक प्रवीण राव बॉबी भी नगर परिषद के भ्रष्टाचार का मामला खुलकर उठा चुके हैं। सबूतों के दावे के साथ प्रवीण राव ने गत दिनों पूनम यादव को जेल जाने के लिए तैयार रहने की नसीहत तक दे डाली थी। चूंकि पूनम यादव के सिर पर चेयरमैनी का ताज खुद राव इंद्रजीत ने पहनाया था, इसलिए विरोधी अब उन पर भी खुलकर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। 

आरोप पूरी तरह राजनीति से प्रेरित 

नगर परिषद की चेयरमेन पूनम यादव ने कहा कि नगर परिषद में मेरे कार्यकाल में एक पैसे का भ्रष्टाचार नहीं हुआ। चुनावों को देखते हुए विधायक छवि खराब करने के लिए चंद पार्षदों को लेकर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। नगर परिषद में पूरी पारदर्शिता से कार्य हो रहा है।