रोहतक, मनोज भल्ला। विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा की राजनीति में सियासी तूफान आ सकता है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देश के बाद ढींगरा आयोग एक बार फिर वाड्रा डीएलएफ लैंड डील मामले की जांच शुरू कर सकता है। हाई कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश सरकार जल्द ही इसकी अधिकारिक घोषणा कर सकती है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने ढींगरा आयोग को चुनौती देने वाली पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की याचिका को खारिज करते हुए आयोग के गठन को सही माना है। इस हाई प्रोफाइल केस में 5 साल बाद आया फैसला भूपेंद्र हुड्डा की मुश्किलें बढ़ा सकता है। हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि यदि आयोग अपनी जांच आगे बढ़ाता है तो उसे पहले भूपेंद्र हुड्डा को बचाव के लिए नोटिस देना होगा।
रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर रोक
हाई कोर्ट ने 2019 में ढींगरा आयोग की रिपोर्ट को यह कहते हुए अमान्य ठहरा दिया था कि यह कानूनी रूप से ठीक नहीं है। इसके अतिरिक्त आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर भी रोक लगा दी गई थी। इस रोक के कारण मनोहर लाल सरकार ढींगरा आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नहीं कर पाई थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान रिपोर्ट के कुछ अंश मीडिया में लीक भी हो गए थे जिसे लेकर देशभर में खूब हंगामा हुआ था। हाईकोर्ट ने दो अलग अलग आदेशों में रिपोर्ट के प्रकाशन पर रोक लगा दी थी। ढींगरा आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर हाईकोर्ट की बैंच एकमत नहीं थी इसलिए इस हाई प्रोफाइल मामले को जस्टिस अनिल खेत्रपाल को भेजा गया था जिन्होंने 9 मई 2024 को 5 साद बाद फैसला सुनाया है कि आयोग का अस्तित्व अभी समाप्त नहीं हुआ है इसलिए राज्य सरकार जांच जारी रख सकती है अथवा नए आयोग का गठन भी कर सकती है।
2015 में बना था ढींगरा आयोग, 182 पेज की रिपोर्ट
गौरतलब है कि विवादास्पद वाड्रा डीएलएफ लैंड डील मामले की जांच के लिए मनोहर लाल सरकार ने 2015 में ढींगरा आयोग का गठन किया था। आयोग ने 31 अगस्त 2016 में 182 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। 10 साल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र हुड्डा पर आरोप था कि उन्होंने रियल स्टेट की दिग्गज कंपनी डीएलएफ के साथ गुडगांव में हुए जमीन सौदों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी को नियमों को ताक पर रखकर अनुचित लाभ पहुंचाया था। हरियाणा सरकार ने आयोग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भी सौंपी थी। इस मामले की जांच कैग और एसआईटी भी कर चुकी है।
भूपेंद्र हुड्डा ने किया हाई कोर्ट का रूख
ढींगरा आयोग की वैधता को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा एक बार फिर हाई कोर्ट पहुंच गए हैं। हुड्डा ने इस मामले में तीन जजों की अलग-अलग राय होने के कारण दलील रखी है कि अब इस मामले की सुनवाई किसी अन्य जज से करवाई जाए। उनका तर्क है कि ढींगरा आयोग को लेकर अब तक जजों की खंडपीठ ने अलग-अलग राय दी है जिससे स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं हुई हो पाई है। 2019 में भी इस मामले को लेकर हाई कोर्ट के दो जजों की राय अलग थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा चुनाव के बीच इसी महीने हाई कोर्ट का रुख किया था।
क्या था हाई प्रोफाइल मामला
गुड़गांव की पुलिस ने लैंड डील मामले में राबर्ट वाडा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। ग्रामीणों ने एफिडेविट देकर आरोप लगाया था कि बोगस कंपनियां खड़ी करके उनकी जमीन 27 लाख प्रति एकड़ के रेट से खरीदी गई और उन्हें 27 करोड़ एकड़ के भाव से बेचा गया। इस संदर्भ में गुड़गांव के खेड़की दौला पुलिस स्टेशन में भी एफआईआर दर्ज हुई थी। भूमि चकबंदी एवं भूमि अभिलेख के तत्कालीन महानिदेशक रहे अशोक खेमका ने जांच के बाद पाया था कि जमीन सौदों से राज्य को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। उन्होंने 2005 के बाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी द्वारा खरीदे गए जमीनों के सौदे की जांच के आदेश दिए थे और लैंड डील को अवैध बताते हुए इसे रद्द कर दिया था। 2015 में भाजपा सरकार ने इस मामले की जांच के लिए आयोग गठित किया था।
मामले में क्लीन चिट से इंकार
इस मामले में पिछले वर्ष रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को क्लीन चिट देने की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनी थी। यह दावा किया गया था कि प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि गुडगांव में हुई लैंड डील को लेकर किसी प्रकार के नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ था। बाद में हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री अनिल विज ने स्पष्ट कर दिया था कि विवादास्पद भूमि सौदों में सरकार ने किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी है। इस मामले की जांच के लिए 22 मार्च 2023 को एसआईटी पुर्नगठित की गई है जिसमें एक डीसीपी, दो एसीपी, एक इंस्पैक्टर और एक एएसआई शामिल है।
नए आयोग के गठन की भी चर्चाएं
लैंड डील मामले में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नए जज की तलाश शुरू कर दी गई है। इस मामले की जांच पहले दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एस एन ढींगरा कर रहे थे जिन्हें लेकर विपक्ष ने कई आरोप लगाए थे। विपक्ष का आरोप था कि आयोग के जज ने अपने ट्रस्ट के नाम पर हरियाणा सरकार से आर्थिक मदद ली थी। ऐसी चर्चा है कि प्रदेश सरकार दिलली के किसी नए रिटायर्ड जज को लैंड डील मामले की जांच सौंपने पर विचार कर रही है।