Kaithal, Naresh Panwar: हरियाणा में दो साल से बढ़े बच्चो के एडोप्शन को अब जल्द ही बढ़ावा मिलने वाला है। केंद्रीय दत्तक संसाधन अभिकरण ने बढ़ी आयु के बच्चों के एडोप्शन करवाने को प्रदेश के सभी जिला बाल कल्याण समिति, डीसीपीयू, सीसीआई व स्पेशलाइज्ड एडोप्शन एजेंसी के अधिकारियों को तेजी से कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। केंद्रीय दत्तक संसाधन अभिकरण ने एक माह के समय में प्रदेश के विभिन्न शिशु गृह, बाल संरक्षण केंद्र व अन्य एनजीओ में रह रहे दो साल से बढ़े बच्चों की रिपोर्ट भेजने के आदेश दिए हैं। बता दें कि इसे लेकर केंद्रीय दत्तक संसाधन अभिकरण द्वारा इसी सप्ताह आनलाइन कार्यशाला भी आयोजित करते देश भर में रहने वाले बच्चों संबंधी जानकारी जुटाई थी।
हरियाणा में 2116 बच्चे के एडोप्शन को तैयार 2727 दंपत्ति
केंद्रीय दत्तक संसाधन अभिकरण पोर्टल पर आंकड़ों को नजर दौड़ाई जाए तो इस समय प्रदेश में एडोप्शन के लिए कुल 2116 बच्चे दिखाए जा रहे हैं। इनमें सामान्य बच्चे 720 तथा स्पेशल नीड के 1396 देखे जा रहे हैं। यदि इन बच्चों को गोद लेने वाले अभिभावकों की संख्या की बात की जाए तो इनके लिए इन कंटरी 2688 तथा इंटर कंटरी 39 है।
बढ़े बच्चों के लिए करना पड़ रहा है लंबा इंतजार
विभागीय सूत्रों ने बताया कि इस समय यदि दो साल से कम आयु के बच्चों की बात की जाए तो यह करीब तीन साल में मिल जाते हैं लेकिन दो साल से बढ़ी आयु के बच्चों के लिए करीब चार से पांच साल का इंतजार करना पड़ रहा है।
यह होती है एडोप्शन की प्रक्रिया
बता दें कि केंद्रीय दत्तक संसाधन अभिकरण द्वारा विभिन्न एजेंसियों में रह रहे बच्चों को इच्छुक दंपत्तियों को गोद दिया जाता है। इन बच्चों को गोद लेने के लिए अभिभावकों को सीएआरए डाट एनआइसी डाट इन पर पंजीकरण करवाना होता है। विभागीय नियमनुसार अभिभावकों को आवश्यक दस्तावेज अपलोड करवाने उपरांत उनकी संबंधित एजेंसी द्वारा होम स्टडी की जाती है तथा इसके उपरांत उनका नाम वेंटिग लिस्ट में आ जाता है। जैसे ही वेटिंग समाप्त होती है तो उन्हें संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से बच्चा गोद दे दिया जाता है।
आदेश स्वागयोग्य, अनाथों को मिलेगा सहारा
कैथल की बाल उपवन आश्रम बाल संरक्षण केंद्र के प्रधान रविभूषण गर्ग ने बताया कि सरकार द्वारा बढ़े बच्चों की गोद प्रक्रिया को तेजी लाए जाने संबंधी आदेशों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सरकार व विभाग बच्चों को जल्द से जल्द एडोप्शन देने के हक में है लेकिन कुछ अधिकारियों व कानूनी अड़चनों के कारण बढ़े बच्चों की एडोप्शन में देरी होती है। अब विभाग ने इस ओर ध्यान दिया जाता है जिसके कारगर परिणाम सामने आएंगे।