Haryana Kisan Success Story: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीएम किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त 18 जून को जारी करेंगे। इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को सालाना 6000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। हालांकि हरियाणा में कई किसान ऐसे हैं, जिन्होंने खेती को नुकसान की बजाए मुनाफे की श्रेणी में ला दिया है। आज हम ऐसे तीन किसानों की कहानी बताने जा रहे हैं, जिससे आप भी लाखों रुपये कमा सकते हैं। तो चलिये बताते हैं इनकी सफलता का राज...

सोनीपत के किसान कंवल सिंह चौहान की कहानी

सोनीपत के कंवर सिंह चौहान ने 1978 में खेती करनी शुरू की थी। उनका कहना है कि धान और गेहूं की फसल से लागत तक नहीं निकलती थी। इससे वो लगातार कर्जे में डूबते चले गए। 1998 में उन्होंने बेबीकॉर्न की खेती करनी शुरू की। किस्मत ने साथ दिया और कर्जे से उबरने लगे। इसके बाद उन्होंने 2009 में 2 एकड़ जमीन पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू की। यहां बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न, अनानास, मशरूम समेत आठ प्रकार के उत्पाद तैयार किए। आज उनके उत्पाद की विदेशों तक सप्लाई है।

खास बात है कि कंवर सिंह आज 200 से अधिक कर्मचारियों को सीधा रोजगार दे रहे हैं। उनकी सफलता को पीएम मोदी ने भी सराहा था। उन्होंने 2020 में कंवर सिंह चौहान का जिक्र कर किसानों से उनके अनुसार खेती करने का संदेश दिया था ताकि किसान समृद्ध होने के साथ अन्यों को भी रोजगार देने के काबिल हो सकें। इतना ही नहीं, कंवल सिंह को पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

करनाल के सुल्तान सिंह को भी मिल चुका है पद्मश्री पुरस्कार

करनाल के बुटाना गांव के किसान सुल्तान सिंह को भी पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। उन्होंने कृषि के साथ 1982 में मछली पालन का काम शुरू किया। कामयाबी मिली तो अपना दायरा बढ़ाते चले गए। उनकी फिश हैचरी उत्तर भारत में पहली थी। चूंकि हरियाणा के ज्यादातर लोग शाकाहारी हैं, लिहाजा उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने आसपास के राज्यों पर फोकस किया। आज वो कृषि उत्पादन से ज्यादा कमाई मत्स्य पालन में कर रहे हैं। यही नहीं, वे मत्स्य पालन के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ उन्हें प्रशिक्षण भी देते हैं ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके।

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जींद के दल्ला राम भी किसानों के मार्गदर्शक बने

जींद जिले के किसान दल्ला राम भी किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए प्रेरणा बने हैं। उन्होंने 70 से 80 एकड़ जमीन लीज पर खेती करते हैं। ज्वार, मक्का, गेहूं, गन्ना और सरसो जैसी फसलों की खेती आधुनिक तरीके से करते हैं। खास बात है कि वे फसलों की गुणवत्ता पर भी ध्यान देते हैं। उनका कहना है कि वे जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं। उनका सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये से ज्यादा हो चुका है। उन्होंने भी हरियाणा के किसानों को कृषि की आधुनिक और परंपरागत मिश्रित तकनीक का इस्तेमाल करने की सलाह दी है।