Gurugram History: हरियाणा का गुरुग्राम जिला जिसका इतिहास 2 हजार साल से भी अधिक पुराना है। वर्तमान समय में गुरुग्राम को कंपनियों का हब और भारत का सिंगापुर भी कहा जाता है। दिल्ली से सटे होने के कारण यह दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में आता है। बता दें की पौराणिक काल से लेकर भारत का सिंगापुर बनने तक की इस शहर की कहानी काफी दिलचस्प है। इसकी शुरुआत महाभारत काल से होती है। कहा जाता है कि महाभारत काल में कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य को यह जिला उपहार में दिया गया था।

2016 में बदला गया था इस जिले का नाम

साल 2016 में गुड़गांव का नाम बदलकर जब गुरुग्राम किया गया था, तब भी सरकार और सरकारी अधिकारियों ने इसके पीछे यह तर्क दिया था कि हरियाणा श्रीमद् भगवद गीता की ऐतिहासिक भूमि है और गुरुग्राम गुरु द्रोण की शिक्षा का केंद्र रह चुका है।

गुरुग्राम का इतिहास

बाबर ने सबसे यहां किया था राज

महाभारत काल के बाद के समय की बात करें तो इस इलाके को यदुवंशी और जादौन जनजातियों के राजपूतों ने भी अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाया। बाद में जब मुगल भारत आए तब बाबर ने सबसे पहले इस इलाके को जीता और यहां पर शासन किया।  मुगलों ने यहां पर साल 1803 तक शासन किया। बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस हिस्से को जीता और देश को आजादी मिलने तक भारत के बाकी क्षेत्र की तरह यहां पर भी ब्रिटिश हुकूमत ने शासन किया।

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पंजाब का हिस्सा था गुरुग्राम

आजादी के बाद 1947 में गुरुग्राम पंजाब का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 1963 में एक नया राज्य हरियाणा बना और तब से गुरुग्राम इसी राज्य का एक जिला है। यहां की जमीन अरावली पर्वत श्रृंखला के कारण खेती योग्य नहीं थी, इसलिए 70 के दशक में जब औद्योगिक क्रांति हुई तो कंपनियों की नजर दिल्ली से सटे इस इलाके पर पड़ी और तब से अब तक यहा कई बड़ी कंपनियां खोल चुकी है। गुरुग्राम आज देश में कारपोरेट कंपनियों, विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य कई वजहों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। एक सर्वे अनुसार गुरुग्राम ने क्वालिटी ऑफ लाइफ इंडेक्स में प्रमुख एशियाई शहरों हांगकांग सिंगापुर और कुआलालंपुर को भी पीछे छोड़ चुका है।