हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए जननायक जनता पार्टी ने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन कर लिया है। प्रदेश की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों पर जेजेपी और 20 सीटों पर चंद्रशेखर आजाद पार्टी चुनाव लड़ेगी। इस ऐलान से इनेलो-बसपा के गठबंधन को बड़ी चुनौती मिलना तय है। खास बात है कि जेजेपी के वरिष्ठ नेता दुष्यंत चौटाला ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि इस चुनाव में भी जेजेपी की भूमिका किंगमेकर की रहेगी। चलिये जेजेपी और आजाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन के पीछे के सियासी मायने समझने का प्रयास करते हैं। इससे पहले सुनिये चंद्रशेखर आजाद रावण का बयान...
इनेलो-बसपा को कड़ी टक्कर देने की रणनीति
हरियाणा लोकसभा चुनाव 2024 में कुल 10 लोकसभा सीटों में से 5-5 सीटें कांग्रेस और बीजेपी के खाते में गई थीं। तीसरे नंबर की बात करें तो बसपा 5 सीटों पर, जबकि जेजेपी 3 और इनेलो 2 सीटों पर रही। ऐसे में बसपा और इनेलो ने गठबंधन किया ताकि जाट वोटर्स और एससी/एसटी वोटर्स को जोड़कर जीत हासिल की जा सके। जेजेपी भी लंबे समय से ऐसे गठबंधन की तलाश कर रहे थी ताकि इन वोटर्स को जोड़कर रखा जा सके। ऐसे में जेजेपी और आजाद समाज पार्टी से गठबंधन की बात चल रही थी। अब खबर सामने आ चुकी है कि ये दोनों दल आने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव को मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
बीजेपी-कांग्रेस के बाद इन तीन सीटों पर आगे रही जेजेपी
पिछले लोकसभा चुनाव को देखें तो जेजेपी तीन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बाद अन्य दलों से आगे रही है। भिवानी महेंद्रगढ़ से जेजेपी प्रत्याशी बहादुर सिंह 15265 वोट के साथ और गुड़गांव लोकसभा सीट से राहुल यादव फाजिलपुरिया कुल 13278 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। इसी प्रकार रोहतक लोकसभा सीट से रविंद्र ने 6250 वोट प्राप्त कर तीसरा स्थान हासिल किया था। हालांकि बाकी सीटों पर इनेलो की तरह जेजेपी की हालत बेहद खराब रही।
इनेलो केवल दो सीटों पर ही तीसरे स्थान पर रही, जबकि बसपा सबसे ज्यादा 5 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही। ऐसे में इनेलो ने आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बसपा से गठबंधन कर मास्टर स्ट्रोक खेला था। अब जेजेपी भी आजाद समाज पार्टी के साथ इस चुनावी पिच पर उतरने जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जेजेपी इस चुनाव में किंगमेकर बनेगी या नहीं।
विधानसभा चुनाव 2019 में जेजेपी रही थी किंगमेकर
पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो इसमें जेजेपी किंगमेकर की भूमिका में रही थी क्योंकि किसी भी अन्य दलों को सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। इस चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटें और कांग्रेस ने 31 सीटें हासिल की थी। जेजेपी को 10 सीटें और अन्यों के खाते में 7 सीटें गई थीं। ऐसे में बीजेपी ने जेजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी। लेकिन, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही यह गठबंधन टूट गया था। ऐसे में जेजेपी लंबे समय से नए साथी की तलाश रही थी और अब आजाद समाज पार्टी के रूप से यह साथी मिल चुका है।