भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही गुटबाजी को सफल नहीं होने दिया। नतीजा यह हुआ कि नायब सैनी बिना किसी विरोध के आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। कांग्रेस की बात करें तो विपक्ष के नेता को लेकर कुमारी सैलजा और भूपेंद्र हुड्डा गुट के बीच लगातार घमासान चल रहा है। कांग्रेस ने कल यानी 18 अक्टूबर को चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें विपक्ष का नेता चुना जाएगा। लेकिन, भूपेंद्र हुड्डा ने इस बैठक से पहले ही विधायक दल के नेता के लिए दावेदारी ठोक दी है। ऐसे में सैलजा गुट का नाराज होना लाजमी है, वहीं जाट समाज भी बंटा दिखाई दे रहा है।

भूपेंद्र हुड्डा ने किया शक्ति प्रदर्शन

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र हुड्डा ने बुधवार को दिल्ली स्थित आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई। इस बैठक में 31 विधायक तो शामिल हुए, लेकिन छह विधायकों ने दूरी बनाए रखी। ये कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला के करीबी बताए जा रहे हैं। नारायणगढ़ से शैले चौधरी, कैथल से आदित्य सुरजेवाला, जगाधरी से अकरम खान, पंचकूला से चंद्रमोहन बिश्नोई, साढ़ौरा से रेनू बाला और नरेश सेलवाल ने इस बैठक से दूरी बनाए रखी।

कांग्रेस के कुल 37 विधायकों में से 31 विधायक इस बैठक में शामिल रहे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इन विधायकों ने विधायक दल के नेता के लिए भूपेंद्र हुड्डा को समर्थन दे दिया है। हालांकि भूपेंद्र हुड्डा ने स्पष्ट किया है कि ये अनौपचारिक बैठक थी, यह शक्ति प्रदर्शन नहीं है।

सैलजा गुट में बेचैनी बढ़ी

भूपेंद्र हुड्डा के इस शक्ति प्रदर्शन के चलते सैलजा गुट की बेचैनी बढ़ना लाजमी है। सैलजा गुट की ओर से चंद्रमोहन बिश्नोई को विपक्ष का नेता बनाए जाने की मांग उठ रही है। वे हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम और चार बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने पंचकूला से जीत हासिल की है। वे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं। उन्होंने हरियाणा की सियासत को करीब से देखा है। सैलजा गुट का कहना है कि हरियाणा में तीसरी बार मिली हार के लिए भूपेंद्र हुड्डा को सीधे जिम्मेदार हैं। कांग्रेस आगे बढ़ना चाहती है, तो विपक्ष का ऐसा नेता चुनना चाहिए, जो कि 36 बिरादरी को एक साथ लेकर चल सके। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सैलजा गुट विपक्ष के नेता के लिए चंद्रमोहन को ही सबसे काबिल मान रहे हैं।

भूपेंद्र हुड्डा जाट नेता, लेकिन जाट समाज भी बंटा

भूपेंद्र हुड्डा जाट नेता है, लेकिन इस विधानसभा चुनाव के बाद उनकी यह छवि बिगड़ गई है। दरअसल, भाजपा ने जाट लैंड में भी कांग्रेस के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। ऐसे में सैलजा गुट लगातार उनके नेतृत्व पर सवाल उठा रहा है। उधर, हुड्डा गुट भी सैलजा गुट पर आरोप लगा रहा है कि उनके गुट के 9 नेताओं में से एक ही नेता चुनाव जीता, जबकि बाकी विधायक हुड्डा गुट से ही बने हैं। सैलजा और हुड्डा गुट की इन दलीलों के इतर जाट समाज का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले सोशल मीडिया पर भी जंग जारी है।

जाट समाज ने एक्स पर खुलकर भूपेंद्र हुड्डा का समर्थन किया है, वहीं जाट वर्ल्ड ने इस पर पलटवार किया है। जाट समाज का कहना है कि कांग्रेस की हार को हुड्डा पर थौंपना चाहते हैं, इनका मकसद है कि टॉप लीडर को खत्म कर दी। जवाब में जाट वर्ल्ड ने लिखा कि जो जाटों की और समाज की बात करता है, वो जाट का लीडर होता है। जाटों के टॉप लीडर सिर्फ चौधरी छोटूराम थे। जाट जाति होने से टॉप जाट लीडर नहीं हो जाता। इन दोनों के बीच घमासान में लोग भी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ बोल रहे हैं कि हुड्डा को फिर से विधायक दल का नेता चुना जाना चाहिए, वहीं कुछ इसका विरोध कर रहे हैं। बहरहाल, हरियाणा में विपक्ष का नेता कौन होगा, यह कल चंडीगढ़ में होने वाली बैठक के बाद पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा।

ये भी पढ़ें: गुरनाम चढ़ूनी का गुस्सा सातवें आसमान पर, भूपेंद्र हुड्डा की 5 बड़ी गलतियां गिनवाई, कांग्रेस को दी ये नसीहत

ये भी पढ़ें: क्या हुड्डा हरियाणा कांग्रेस का नेतृत्व छोड़ देंगे, शैलजा गुट ने बनाया दबाव, मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली बुलाया