हरियाणा भाजपा की शिक्षा नीति पर सवाल : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह ने बड़े आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा की सरकारी यूनिवर्सिटी पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है। प्रदेश के 23 विश्वविद्यालयों पर 6,625.82 करोड़ रुपये कर्जा हो गया है। सरकार इन यूनिवर्सिटी को तो ग्रांट दे नहीं रही बल्कि नई-नई यूनिवर्सिटी खोलकर और खर्चा व कर्जा बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में सैकड़ों की संख्या में पदों पर लोगों को बैठा दिया जाता है, यह सारा कुछ खजाने पर बोझ के अलावा कुछ भी नहीं है। हर जिले में यूनिवर्सिटी खोलनी जरूरी नहीं है, बल्कि यह वोट बैंक की राजनीति के कारण सारा कुछ हो रहा है। 

2022 में ग्रांट बंद करने का हो चुका है विरोध

संपत सिंह ने प्रदेश कांग्रेस के सेक्टर 9 चंडीगढ़ स्थित ऑफिस में पत्रकारवार्ता बुलाकर सरकार पर हमला बोला। कहा कि प्रदेश के 23 विश्वविद्यालयों पर 6,625.82 करोड़ रुपये कर्जा हो गया है। सरकार ने यूनिवर्सिटीज को देने वाली ग्रांट को लोन में बदल दिया है, जिससे यूनिवर्सिटीज पर कर्ज हो गया। 29 अप्रैल 2022 को सरकार ने 10 यूनिवर्सिटीज को 147.75 करोड़ की राशि पहली तिमाही के लिए लोन देने का फैसला किया था। इसका विरोध हुआ और सरकार ने यह फैसला वापस लिया और कहा कि यह राशि के ग्रांट की राशि है। संपत सिंह ने कहा कि सरकार विश्वविद्यालयों को केवल लोन जारी कर रही है जबकि सरकार को विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता के लिए ग्रांट देनी चाहिए। अगर ऐसा होता रहा तो यूनिवर्सिटीज पर कर्जा बढ़ता रहेगा और निजी हाथों में चली जाएंगी क्योंकि प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फीस लाखों में होती है जिससे हर छात्र वहन नहीं कर सकते हैं। सरकार सरकारी यूनिवर्सिटीज को बंद करने का काम कर रही है। संपत सिंह ने कहा सरकार नई-नई यूनिवर्सिटी खोल रही है जबकि पहले की यूनिवर्सिटियों में सरकार अनुदान राशि नहीं दे रही। 

नई यूनिवर्सिटी खोलने पर जोर, पुरानी पर ध्यान नहीं

संपत सिंह ने आरोप लगाया कि हिसार कृषि विश्वविद्यालय का ही विस्तार करने की बजाय महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल और लुवास यूनिवर्सिटी बना दी है। संपत सिंह ने कहा सरकार नई यूनिवर्सिटी खोलने पर जोर दे रही है जबकि पहले खुले विश्वविद्यालय की वित्तीय हालत कमजोर है।

निकाय चुनाव पर संपत सिंह बोले-वक्त ही बताएगा

पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह कांग्रेस की फूट और गुटबाजी, नेता विपक्ष नहीं चुने जाने जैसे हरिभूमि द्वारा उठाए गए सवालों से बचते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि आज तो वे यूनिवर्सिटी का मामला उठाने आए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि नेता विपक्ष बनाने में देरी हो रही है, बजट सत्र से पहले हाईकमान कुछ ना कुछ करेगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा, महाराष्ट्र के चुनावों के साथ-साथ दिल्ली का चुनाव भी था। अब हरियाणा के चुनाव हैं, इसलिए कोई ना कोई कारण बन जाता है। निकाय चुनावों में कांग्रेस अपने तरीके से चुनाव लड़ रही है, नतीजे क्या होंगे यह आने वाले वक्त में देखना होगा। किरण चौधरी के भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भाजपा की मदद करने के बयान पर कहा कि मैं कुछ नहीं कह सकता। इस बारे में किरण चौधरी ही बता सकती हैं।

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