भारतीय कुश्ती संघ और रेसलर्स में चल रहे विवाद के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज अचानक झज्जर के छारा गांव पहुंचे। यहां उन्होंने अखाड़े में पहलवान बजरंग पुनिया के साथ कुश्ती की। उन्होंने पहवानों की दिनचर्या जानी, साथ ही WFI से चल रहे विवाद पर लंबी बातचीत की। दिल्ली कांग्रेस ने अपने एक्स अकाउंट पर फोटो शेयर कर 'जननायक' लिखा है। ऐसे में कुछ लोग राहुल गांधी के इस दौरे के सियासी मायने निकाल रहे हैं। अब सवाल उठता है कि अगर राहुल गांधी ने सियासत के चलते पहलवानों से मुलाकात की है, तो क्या कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हरियाणा में धराशायी कर पाएगी या नहीं। आइये समझने का प्रयास करते हैं...

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह पहला मौका नहीं है, जब राहुल गांधी अचानक हरियाणा पहुंचे हों। इससे पहले 23 मई को अंबाला में ट्रक की सवारी करते देखे गए थे। यहां उन्होंने ट्रक ड्राइवरों से मुलाकात करके उनकी समस्याएं सुनीं। इसके बाद 8 जुलाई 2023 को खबर सामने आई कि राहुल गांधी सोनीपत पहुंचे और एक गांव में ट्रैक्टर चलाकर खेती की। यहां भी उन्होंने किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनी। आज भी राहुल गांधी झज्जर के छारा गांव पहुंचे। जानकारों की मानें तो राहुल गांधी का अचानक से हरियाणा पहुंचना इत्तेफाक नहीं है बल्कि इसके पीछे की सोची समझी योजना है।

क्या ये सोची समझी योजना?

हरियाणा कांग्रेस को आने वाले लोकसभा चुनाव में जीत की खासी उम्मीदें हैं। कृषि कानून, पहलवानों का विरोध प्रदर्शन समेत कई मुद्दे हैं, जिस पर बीजेपी घिर जाती है। हालांकि पिछले दिनों जिस तरह से टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री की और राहुल गांधी इसका वीडियो बनाते नजर आए, उससे जाट समुदाय कांग्रेस और राहुल गांधी से नाराज हैं। कई खाप पंचायतों ने तो चेतावनी दे दी है कि अगर माफी नहीं मांगी तो हम आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को देख लेंगे। अभी तक न तो कल्याण बनर्जी ने माफी मांगी और न ही कांग्रेस ने खेद जताया। बावजूद इसके कांग्रेस नेता राहुल गांधी हरियाणा पहुंच गए ताकि पहलवानों के घावों पर मरहम लगाकर खुद को 'जननायक' साबित कर सकें।

 

आप, जेजेपी मुश्किल दौर में?

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जिस तरह से विवादों में घिरे हैं, उससे राज्य इकाई के मनोबल का डगमगाना लाजमी है। यही कारण है कि पंजाब कांग्रेस ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। कहा कि गठबंधन के साथ सीटों के शेयर पर हाईकमान से कोई निर्देश नहीं मिला है। उधर, दिल्ली में भी कांग्रेस और आप में गठबंधन मुश्किल नजर आ रहा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस हरियाणा में भी अकेले चुनाव लड़ना चाहेगी।

 

जेजेपी और आप को राजस्थान में मिला है झटका

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी हरियाणा बीजेपी के सहयोगी दल जेजेपी को करारा झटका मिला था। जेजेपी ने राजस्थान में किंगमेकर बनने के लिए 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे, लेकिन एक प्रत्याशी को छोड़कर कोई भी जमानत तक नहीं बचा सका। वहीं आम आदमी पार्टी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में 83 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी प्रत्याशी जीत नहीं सका। हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंट चौटाला ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि हम भले ही हार गए, लेकिन आप के मुकाबले हमारा प्रदर्शन बेहतर रहा है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि जाट समाज का एक बड़ा तबका आज भी दुष्यंत चौटाला से नाराज है। बीजेपी भी इस बात को भली भांति जानती है, लिहाजा हर एक कदम फूंक- फूंककर उठा रही है।