Rewari: चुनावी खर्च के मामले में प्रत्याशियों पर चुनाव आयोग की पैनी नजर है। आयोग ने प्रचार सामग्री पर होने वाले खर्च को प्रत्याशी के खर्च में जोड़ने के लिए अपनी टीमों को वीडियोग्राफी कराने के लिए मैदान में उतार दिया है। इन टीमों ने इश्तहार व होर्डिंग्स की वीडियोग्राफी का कार्य शुरू कर दिया है। आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से खर्च का अनुमान लगाने के बाद उसे संबंधित प्रत्याशी के खाते में जोड़ दिया जाएगा। जिला निर्वाचन आयोग ने बावल, रेवाड़ी व कोसली में विभिन्न दलों के प्रत्याशियों की ओर से लगवाए जा रहे इश्तहार, हॉर्डिंग्स व दीवारों की पुताई कार्य का सर्वे कराना शुरू कर दिया है।
तीन हलकों में टीमों ने शुरू किया काम
निर्वाचन आयोग की तीनों टीमों ने हलकों में अपना काम शुरू कर दिया है। वीडियोग्राफी करने वाले मुख्य मार्गों से लेकर शहर की गलियों तक में लगे छोटे-छोटे इश्तहार को भी कैमरे में कैद कर रहे हैं, ताकि उन्हें प्रत्याशी के चुनावी खर्च में शामिल किया जा सके। सोमवार को आयोग की टीम ने शहर के विभिन्न इलाकों में जाकर वीडियोग्राफी का कार्य शुरू किया। शहर का सर्वे पूरा होने के बाद यह टीमें ग्रामीण क्षेत्रों में लगाई जा रही प्रचार सामग्री की रिकॉर्डिंग करेंगी। प्रचार सामग्री को कैमरे में कैद करने के बाद यह अनुमान लगाया जाएगा कि प्रत्याशी ने प्रचार पर कितना पैसा खर्च किया है। निर्धारित से अधिक पैसा खर्च करने वाले प्रत्याशियों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
अभी तक भाजपा के इश्तहार ज्यादा
सर्वे करने वाली टीम से जुड़े एक कर्मचारी ने बताया कि अभी तक भाजपा प्रत्याशी के पोस्टर और इश्तहार लगे हुए मिल रहे हैं। दूसरे दलों के प्रत्याशियों के इश्तहार बहुत कम नजर आ रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी को टिकट देरी से मिली है। कांग्रेस प्रत्याशी का प्रचार भी अभी तक फीका नजर आ रहा है। सर्वे करने वाली टीमें नियमित रूप से अपने कार्य को अंजाम देंगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निर्वाचन विभाग की ओर से सोशल मीडिया खासकर यू-ट्यूब पर चलाई जा रही प्रत्याशियों के प्रचार की खबरों पर भी निर्वाचन आयोग की नजर है। नेताओं की चुनावी सभाओं की खबरों पर यू-ट्यूब चैनल पर चलाने की जानकारी भी एकत्रित की जा रही है। उसे भी चुनावी खर्च में शामिल किया जाएगा।
रैलियों व सभाओं पर भी पैनी नजर
निर्वाचन आयोग की ओर से प्रत्याशियों की ओर से की जाने वाली रैलियों और चुनावी सभाओं पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। इन पर होने वाली खर्च का लेखा-जोखा प्रत्याशी को देना होता है, लेकिन आयोग की ओर से खुद भी इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। इन सभाओं और रैलियों के खर्च को भी चुनावी खर्च में शामिल किया जाएगा। नायब तहसीलदार अजय कुमार ने बताया कि प्रचार सामग्री पर होने वाले खर्च का अनुमान लगाने के लिए तीनों हलकों में तीन टीमों को काम पर लगाया गया है। वीडियोग्राफी से खर्च का आकलन करने के बाद से प्रत्याशी के खर्च में शामिल किया जाएगा।